कोर्ट ने फैसले में कहा कि अपीलकर्ताओं के खिलाफ आरोपों को प्रथमदृष्ट्या सच मानने के उचित आधार थे। गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (यूएपीए) की धारा 43डी(5) के तहत जमानत पर वैधानिक रोक लागू होती है। कोर्ट ने कहा कि विशेष अधिनियम के तहत राज्य के खिलाफ अपराध पर जमानत नहीं दी जा सकती।
आरोपी भूपेंद्र नेताम, मोहनलाल यादव और लखनलाल यादव की जमानत याचिका रायपुर के विशेष न्यायाधीश (एनआईए) ने 14 जनवरी, 2025 को जमानत याचिका खारिज कर दी थी। मामले की सुनवाई में देरी और विसंगतियों के आधार पर आरोपियों ने हाईकोर्ट में जमानत आवेदन प्रस्तुत किया था। डिवीजन बेंच ने आरोपियों के सहयोग करने पर ट्रायल कोर्ट को 6 माह में सुनवाई करने पूरी करने का प्रयास करने के निर्देश भी दिए।
बरामद पत्रों, दस्तावेजों से आरोपियों की साजिश साबित
हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि आरोप-पत्र और जांच के दौरान, अपराधियों के खिलाफ़ दर्ज अपराध की प्रकृति और आरोप-पत्र पर विचार करने के बाद, यह अदालत इस राय पर है कि अभियोजन पक्ष ने सभी आवश्यक तथ्यों और सामग्रियों को रिकॉर्ड में प्रस्तुत किया है। प्रथमदृष्ट्या यह प्रमाणित किया गया है कि हमले को अंजाम देने की साजिश में अपीलकर्ता शामिल हैं। आरोपियों के प्रतिबंधित माओवादी संगठन से संबन्ध और विस्फोट करने की साजिश करने की बैठकों में शामिल होने के प्रमाण हैं।
एनआईए के वकील ने तर्क दिया कि आरोप पत्र ने राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने की एक बड़ी साजिश में अपीलकर्ताओं की संलिप्तता स्थापित की। गवाहों, आरोपियों से बरामद पत्रों, तार, डेटोनेटर सहित अन्य दस्तावेजी साक्ष्यों से इसकी पुष्टि हो रही है।
यह है मामला
छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान 17 नवंबर, 2023 को दूसरे चरण का मतदान था। मतदान समाप्त होने के बाद, आईटीबीपी. कांस्टेबल जोगेंद्र कुमार सुरक्षा बलों के साथ लौट रहे थे, तभी गरियाबंद जिले के बडेगोबरा के पास सुनियोजित बम विस्फोट किया गया। विस्फोट में कांस्टेबल कुमार को गंभीर चोटें आईं और बाद में उनकी मृत्यु हो गई। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ विभिन्न आपराधिक धाराओं में प्रकरण दर्ज किया। इसमें राज्य के खिलाफ षड्यंत्र और अपराध का मामला भी था।