CG News: चारागाह की भूमि समाप्त
उल्लेखनीय है कि सरपंच शासकीय और आबादी भूमि पर कब्जा करवाने सहित कई अपराधों में संलिप्त था। इसके पहले कलेक्टर उसके खिलाफ रासुका के तहत जिलाबदर की कार्रवाई कर चुके हैं। एसडीएम मस्तुरी द्वारा जारी आदेश के अनुसार ग्राम पंचायत पाराघाट के सरपंच प्रदीप सोनी ने ग्राम पाराघाट में विभिन्न मदों की शासकीय भूमि में से लगभग 30-35 एकड़ भूमि को लाई एश से पाट दिया गया है, जिससे चारागाह की भूमि समाप्त हो गई है। सरपंच द्वारा
छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 के प्रावधानों का उल्लंघन कर नियम विरुद्ध कार्य कर रहा था। पूरे प्रकरण की जांच तहसीलदार मस्तूरी से कराई गई। संयुक्त टीम ने जांच की तो सामने आई गड़बड़ी: संयुक्त जांच टीम ने ग्रामवासियों एवं शिकायतकर्ता की मौजूदगी में मौका निरीक्षण किया। ग्रामवासियों तथा शासकीय भूमि पर अवैध कब्जाधारियों द्वारा बताया गया कि सरपंच प्रदीप सोनी द्वारा 525/1 शासकीय भूमि को आबादी भूमि खसरा क्रमांक 525/3 बताकर लोगों को आबादी पट्टा वितरण किया गया है।
शासकीय भूमि पर भी अवैध कब्जा
तथा घास भूमि खसरा नबर 525/1 पर ही निर्माण कार्य के लिए भूमि को चिन्हांकित कर उसी भूमि पर निर्माण हेतु कहा गया। शिकायतकर्ता छहोरन वस्त्रकार ने बताया कि 45 वर्ष पुराने मेरे कब्जे वाली जमीन को गोचर जमीन कहते हुए उन्हें कब्जे से हटा दिया। शिकायतकर्ताओं ने कहा कि आबादी घोषित भूमि के अलावा शासकीय भूमि पर भी अवैध कब्जा करा दिया गया। इसमें उनके द्वारा निर्माण कार्य भी कराया जा रहा है। सरपंच को ग्राम में बेजा कब्जा हटवाना चाहिए किन्तु उनके द्वारा आबादी के साथ शासकीय जमीन को बेजा कब्जा खुद ही कराया जा रहा है।
10 वर्षों से लगातार अपराधों में लिप्त पाया गया सरपंच
न्यायालय जिला दण्डाधिकारी द्वारा पारित आदेश में सरपंच प्रदीप सोनी को पिछले 10 वर्षों से आपराधिक कृत्यों से जुड़ा होना बताया गया। सरपंच वर्ष 2015 से अपने साथियों के साथ मिलकर मारपीट, जान से मारने की धमकी देने, गाली-गलौच, गुंडागर्दी जैसे गंभीर अपराध घटित कर आम जन को आतंकित करने एवं उनके मध्य भय उत्पन्न करने में संलिप्त है। कलेक्टर ने छत्तीसगढ़ राज्य सुरक्षा अधिनियम 1992 की धारा (5) (क) (ख) के प्रावधानों के तहत सरपंच प्रदीप सोनी को 6 माह की अवधि के लिए जिलाबदर करने का आदेश पारित किया है। प्रकरण में आए उपरोक्त तथ्यों, नायब तहसीलदार मस्तुरी से प्राप्त जांच प्रतिवेदन, शिकायतकर्ताओं का शपथपूर्वक कथन, जिला दण्डाधिकारी बिलासपुर द्वारा की गई जिला बदर की कार्रवाई से यह तथ्य प्रकट होता है कि सरपंच प्रदीप सोनी जनप्रतिनिधि होते हुए भी विधिविरुद्ध क्रियाकलापों में संलिप्त रहकर समाज विरोधी तथ्यों को बढ़ावा देने जैसे गंभीर अपराध घटित कर आम जनों को आतंकित करने एवं उनके मध्य भय उत्पन्न करने में संलिप्त है।
अवकाश बेंच ने दूसरी बार सुनवाई तत्काल
पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 40 के तहत वे अपने कर्तव्यों के निर्वहन में अवचार के दोषी हैं जिसके फलस्वरूप उनको उनके पद पर बना रहना लोकहित में अवांछनीय है। हाईकोर्ट ने रेप पीड़ित नाबालिग के गर्भपात के लिए परीक्षण कराने के निर्देश दिए है। शीतकालीन अवकाश के दौरान विशेष बेंच ने मंगलवार को सुनवाई की। कोर्ट ने बुधवार को जांच प्रक्रिया पूरी कर गुरुवार 2 जनवरी 2025 को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। इस तरह के मामले में अवकाश बेंच ने दूसरी बार तत्काल सुनवाई की है।
इसके पहले 24 दिसंबर को बिलासपुर के एक मामले में कोर्ट ने सुनवाई कर पीड़िता को राहत दी थी। प्रकरण के अनुसार याचिकाकर्ता नाबालिग बलात्कार पीड़िता है और लगभग 24 सप्ताह की गर्भवती है। पीड़िता ने स्वयं अपनी गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए सहमति दी है।
गर्भावस्था की पूरी अवधि पूरी करने की अनुमति
सुनवाई के दौरान पीड़िता के अधिवक्ता ने सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के डोंगरीपाली पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर का हवाला दिया, जो पीड़िता के पिता के कहने पर दर्ज की गई है। जांच के लिए बिंदु तय किए कोर्ट ने: कोर्ट ने जांच के लिए बिंदु तय किए हैं। इसमें रोगी की शारीरिक और मानसिक स्थिति के संबंध में जांच, गर्भावस्था की अवधि, भ्रूण की समग्र स्थिति; गर्भावस्था की समाप्ति किस हद तक हानिकारक होगी। यदि याचिकाकर्ता को गर्भावस्था की पूरी अवधि पूरी करने की अनुमति दी जाती है, तो यह कितना हानिकारक होगा आदि शामिल हैं। उपरोक्त पहलुओं पर पीड़िता की जांच के बाद,
मेडिकल बोर्ड 2 जनवरी 2025 तक कलेक्टर, रायगढ़ के माध्यम से इस न्यायालय को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। थाना प्रभारी, पुलिस थाना डोंगरीपाली को पीड़िता के परिवहन के लिए आवश्यक व्यवस्था करने के निर्देश भी कोर्ट ने दिए हैं।
मेडिकल बोर्ड गठित कर जांच के निर्देश
CG News: कोर्ट ने निर्देशित किया कि मेडिकल बोर्ड द्वारा चिकित्सकीय परीक्षण किया जाएगा, जिसमें एक स्त्री रोग विशेषज्ञ, एक शिशु रोग विशेषज्ञ, एक रेडियोलॉजिस्ट/सोनोलॉजिस्ट और मामले में आवश्यकतानुसार कोई अन्य सदस्य शामिल होंगे। बोर्ड याचिकाकर्ता के उचित सत्यापन के बाद एफआईआर के अनुसार उसकी जांच करेगा। पीड़िता को 1 जनवरी, 2025 को दोपहर 12 बजे मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सिविल सर्जन कार्यालय रायगढ़, जो कि पीड़िता के ग्राम के पास है, के समक्ष उपस्थित होने के निर्देश कोर्ट ने दिए हैं।