याचिका में कहा गया था कि, महाधिवक्ता के खिलाफ असंवैधानिक रूप से केस दर्ज किया गया है। चूंकि, महाधिवक्ता की नियुक्ति राज्यपाल ने की है। लिहाजा, उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए धारा 17(ए) के तहत अनुमति जरूरी है। लेकिन, इस केस में सरकार ने कोई अनुमति नहीं ली है। सीधे तौर पर केस दर्ज किया है। लिहाजा, यह चलने योग्य नहीं है।
केस की सुनवाई के दौरान शासन ने जवाब में कहा किप्रवर्तन निदेशालय इस मामले की जांच कर चुका है। इसमें छत्तीसगढ़ के नागरिक आपूर्ति निगम (पीडीएस) घोटाले में शामिल दो सीनियर आईएएस अनिल कुमार टुटेजा और आलोक शुक्ला के खिलाफ केस दर्ज किया है। आपराधिक षडयंत्र के सबूत मिलने पर केस दर्ज किया गया है। बता दें कि, पूर्व महाधिवक्ता ने रायपुर की एसीबी कोर्ट के फैसले को
हाइकोर्ट में चुनौती दी थी। एसीबी कोर्ट प्रकरण को अत्यंत गंभीर बताते हुए जमानत याचिका को पहले ही खारिज कर चुका है। इससे पूर्व महाधिवक्ता की गिरफ्तारी की संभावना बढ़ गई है।
स्पेशल कोर्ट से खारिज हो चुकी है अग्रिम जमानत
पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने EOW/ACB की FIR के बाद अग्रिम जमानत के लिए रायपुर की स्पेशल कोर्ट में भी जमानत अर्जी लगाई थी। इसमें उन्होंने गिरफ्तारी से पहले जमानत देने की मांग की थी। इस दौरान लंबी बहस चली, जिसके बाद स्पेशल कोर्ट की जज निधि शर्मा ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने अग्रिम जमानत खारिज करते हुए कहा था कि अपराध में आरोपी की महत्वपूर्ण भूमिका है। जिनके सहयोग के बिना आपराधिक षडयंत्र को अंजाम देना संभव नहीं था।