Kumudini Lakhia Passes Away: भारतीय शास्त्रीय नृत्य जगत में शोक की लहर है। कथक को नई दिशा देने वाली उस्ताद कुमुदिनी लाखिया का निधन बीते कल 12 अप्रैल की सुबह हो गया था। चर्चित नृत्यांगना 94 वर्ष की थीं।
Deeply saddened by the passing of Kumudini Lakhia ji, who made a mark as an outstanding cultural icon. Her passion towards Kathak and Indian classical dances was reflected in her remarkable work over the years. A true pioneer, she also nurtured generations of dancers. Her…
उनके निधन से सभी दुखी हैं। पीएम मोदी ने भी लाखिया के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स (X) पर लिखा, “कुमुदिनी लाखिया जी के निधन से बहुत दुःख हुआ, जिन्होंने एक उत्कृष्ट सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में अपनी पहचान बनाई। कथक और भारतीय शास्त्रीय नृत्यों के प्रति उनका जुनून पिछले कई वर्षों में उनके उल्लेखनीय कार्यों में झलकता है। एक सच्ची अग्रणी होने के साथ-साथ उन्होंने कई पीढ़ियों के नर्तकों का पालन-पोषण भी किया। उनके योगदान को हमेशा संजोया जाएगा। उनके परिवार, छात्रों और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।”
कुमुदिनी लाखिया इंडिया की फेमस कथक नृत्यांगना (डांसर) और कोरियोग्राफर थीं, जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय नृत्य (Classical Dance) की दुनिया में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका जन्म 17 मई 1930 को हुआ था और उन्होंने 12 अप्रैल 2025 को 94 वर्ष की आयु में अहमदाबाद, गुजरात में अंतिम सांस ली।
Kumudini Lakhia Death बता दें साल 1964 में उन्होंने अहमदाबाद में ‘कदम्ब सेंटर फॉर डांस एंड म्यूजिक’ की स्थापना की, जो कथक के नवाचार और प्रशिक्षण का प्रमुख केंद्र बना। उन्हें देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाजा जा चुका है।
इसके अलावा उन्हें पद्मश्री (1987), पद्म भूषण (2010), संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1982) और कालिदास सम्मान (2002-03) में सम्मानित किया जा चुका है। उनकी प्रमुख कोरियोग्राफियों में ‘धबकर’, ‘युगल’ और ‘अतः किम’ शामिल हैं।