Bundi News: आखिरकार 22 वर्ष बाद फिर से जल संसाधान विभाग प्रदेश के बांधों की खोज खबर लेगा, यानि इनका सरंक्षण और मरम्मत की जिम्मेदारी संभालेगा। प्रदेश में ऐसे 3 हजार 236 बांधों को शामिल किया गया है। अब 300 हेक्टेयर तक के छोटे बांध पंचायतीराज संस्थाओं से वापस जल संसाधन विभाग को दिया गया है। ऐसे में जल संसाधन विभाग द्वारा इन बांधों की जल संरचनाओं का वापस प्रबंधन किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि जल संसाधन विभाग द्वारा वर्ष 2003 में पंचायतीराज संस्थान को यह बांध हस्तान्तरित किए गए थे। अब इन बांधों का भौतिक सत्यापन सिंचाई विभाग की ओर से शुरू करवाया गया है। अब जल संसाधन विभाग द्वारा बांध व तालाब की मरम्मत, रखरखाव, आय प्राप्ति, उसके जल का उपयोग आदि के लिए जल संसाधन विभाग के अधीन रहेगा। इस संबंध में शासन सचिव एवं आयुक्त ने आदेश जारी किया है। इसमें बूंदी जिले के 21 बांध शामिल है।
तब दिए थे पंचायतीराज संस्थाओं को
आदेश में बताया कि 13 फरवरी 2001 व 30 जून 2003 के तहत 80 हेक्टेयर के 2191 बांध व तालाब तथा 300 हेक्टेयर तक के 1045 बांध व तालाब पंचायती राज संस्थाओं को दिए गए थे। उस समय इन बांधों पर कार्यरत कार्मिक भी पंचायतीराज में गए थे। अब बांधों को वापस सिंचाई विभाग में लेने पर वे कार्मिक भी (पैतृक विभाग) सिंचाई विभाग में आ जाएंगे।
यह भी बताना होगा
बांध या तालाब का नाम,गांव,ग्राम पंचायत व पंचायत समिति का नाम, तहसील व जिले का नाम हस्तांतरण प्रमाण पत्र में लिखा है। इसके साथ ही अक्षांश व देशांतर, सिंचित क्षेत्र, भराव क्षमता, मुख्य नहर की लबाई, मिट्टी के पाल की स्थिति, डूब क्षेत्र में सिल्ट भराव की स्थिति व नहरी तंत्र के हालात अंकित कर प्रमाण पत्र देना होगा। इसके साथ ही दस साल की जल आवक भी बतानी होगी।
विभाग की बढ़ेगी परेशानी
पंचायतीराज संस्थाओं के बांधों का सिंचाई विभाग के एक्सईएन व पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों की ओर से भौतिक सत्यापन किया जाएगा। यह कार्य मानसून आने से पूर्व करना होगा, ताकि पहले बांधों व तालाबों का रखरखाव किया जा सके। सबसे बड़ी परेशानी यह है कि मानसून आने में समय कम रह गया है। ऐसे में रखरखाव के लिए विभाग के पास चुनौती रहेगी।
सरकार के आदेश पर जिले के बांधों को जल संसाधान विभाग को हस्तान्तरित किया गया है। इसमें जिले के 21 बांध इसमें शामिल है। रवि वर्मा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, बूंदी