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Loan और इक्विटी से 30,000 करोड़ जुटाएगा यह बैंक, जानें बैंकिंग और बाजार पर क्या होगा असर

IndusInd Bank fundraise : इंडसइंड बैंक ने 30,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई है, जिसमें ऋण और इक्विटी का मिश्रण शामिल है।

भारतJul 23, 2025 / 11:13 pm

M I Zahir

IndusInd Bank fundraise

इंडसइंड बैंक लोन और इक्विटी से करोड़ों रुपये जुटाएगा।( फोटो: पत्रिका.)

IndusInd Bank fundraise: इंडसइंड बैंक (IndusInd Bank fundraise) ने हाल ही में 30,000 करोड़ रुपये की फंडिंग (Rs 30,000 crore raise)जुटाने की योजना बनाई है। इसके लिए बैंक ऋण और इक्विटी का मिश्रण (debt equity mix) अपनाएगा। इस कदम का मकसद बैंक की पूंजी संरचना को मजबूत बनाना है। यह कदम बैंक की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने और विकास को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है। बैंक के अधिकारियों ने बताया कि यह फंडिंग बैंक के विस्तार और नए प्रोजेक्ट्स (financial growth India) में निवेश के लिए महत्वपूर्ण होगी। इससे बैंक की वित्तीय स्थिति बेहतर होगी और बाजार में उसकी स्थिति और मजबूत होगी। फंड जुटाने का यह तरीका बैंक को लचीला बनाता है क्योंकि इसमें दोनों- ऋण और इक्विटी का संतुलित मिश्रण शामिल होता है। इससे बैंक की ऋण लेने की क्षमता बढ़ेगी और साथ ही निवेशकों का भी भरोसा मजबूत होगा।

फंडिंग प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी

इंडसइंड बैंक ने कहा कि फंडिंग प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी और बैंक अपने ग्राहकों और शेयरधारकों को बेहतर सेवाएं देने के लिए तैयार है।

वित्तीय बाजार में सकारात्मक संकेत

बाजार के पंडितों का कहना है कि इंडसइंड बैंक का 30,000 करोड़ रुपये जुटाने का फैसला वित्तीय बाजार में सकारात्मक संकेत है। यह कदम बैंक की ग्रोथ रणनीति को दर्शाता है और निवेशकों के लिए भी भरोसेमंद संदेश है। पूंजी बढ़ाने से बैंक को नए प्रोजेक्ट्स में निवेश करने और अपने वित्तीय स्ट्रेंथ को मजबूत करने में मदद मिलेगी।

बैंक की भविष्य की योजनाओं पर प्रभाव

जानकारों के अनुसार अब यह देखना है कि बैंक इस फंडिंग का कितना हिस्सा ऋण और कितना हिस्सा इक्विटी के जरिए जुटाता है। इसके अलावा, यह भी महत्वपूर्ण होगा कि बाजार और निवेशक इस फंडिंग को कैसे स्वीकार करते हैं और बैंक की भविष्य की योजनाओं पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।

अब पूरे बैंकिंग सेक्टर पर भी नजर रखनी होगी

बहरहाल इस फंड जुटाने के फैसले का प्रभाव न केवल इंडसइंड बैंक पर पड़ेगा, बल्कि पूरे बैंकिंग सेक्टर पर भी नजर रखनी होगी। अन्य बैंकों के लिए भी यह एक संकेत हो सकता है कि वे अपने पूंजी आधार को मजबूत करने के लिए नए तरीके अपनाएं। इसके अलावा, आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच यह कदम वित्तीय स्थिरता की दिशा में भी एक बड़ा कदम हो सकता है।

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