गुरुवार को MCX पर सोने की कीमतें 91,423 रुपये के नए शिखर पर पहुंची थीं, लेकिन दिन के अंत तक 258 रुपये की गिरावट के साथ यह 90,470 रुपये पर बंद हुई। कारोबार की शुरुआत 91,230 रुपये से हुई थी, जबकि पिछले दिन यह 90,728 रुपये पर बंद हुआ था। वैश्विक बाजार में भी सोने की कीमतें 3,100 डॉलर प्रति औंस से ऊपर कारोबार कर रही हैं। मिल्स का अनुमान है कि यह कीमत 1,820 डॉलर प्रति औंस तक गिर सकती है, जो मौजूदा स्तर से करीब 40% की कमी दर्शाता है। इस भविष्यवाणी ने बाजार में चर्चा तेज कर दी है कि क्या वाकई सोना इतना नीचे आ सकता है?
गिरावट के दावों के पीछे के तर्क
मिल्स ने अपनी भविष्यवाणी को कई तर्कों के साथ पेश किया है। पहला, वैश्विक स्तर पर सोने की सप्लाई में इजाफा हुआ है। 2024 की दूसरी तिमाही में माइनिंग प्रॉफिट 950 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया, जो 2012 के बाद सबसे ज्यादा है। ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में उत्पादन बढ़ा है, और रिसाइकिल्ड गोल्ड की सप्लाई में भी वृद्धि हुई है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, 2024 में ग्लोबल गोल्ड रिजर्व 9% बढ़कर 2,16,265 टन हो गया है। दूसरा, डिमांड में कमी के संकेत दिख रहे हैं। पिछले साल केंद्रीय बैंकों ने 1,045 टन सोना खरीदा था, लेकिन अब 71% केंद्रीय बैंक अपनी होल्डिंग्स को कम करने या स्थिर रखने की योजना बना रहे हैं। तीसरा, मार्केट सैचुरेशन का खतरा है। 2024 में गोल्ड सेक्टर में मर्जर और अधिग्रहण 32% बढ़े हैं, जो बाजार के चरम पर होने का संकेत देता है। इसके अलावा, गोल्ड ETF में हालिया उछाल पिछले प्राइस करेक्शन के पैटर्न जैसा दिख रहा है।
उछाल की उम्मीदें भी बरकरार
हालांकि, सभी विशेषज्ञ गिरावट के पक्ष में नहीं हैं। बैंक ऑफ अमेरिका ने अनुमान लगाया है कि अगले दो वर्षों में सोना 3,500 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है, वहीं गोल्डमैन सैक्स का मानना है कि 2025 के अंत तक यह 3,300 डॉलर प्रति औंस तक जा सकता है। इनका तर्क है कि केंद्रीय बैंकों की खरीदारी, अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती, और भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं सोने की कीमतों को सपोर्ट दे रही हैं। ट्रेड टैरिफ और आर्थिक अनिश्चितताओं ने 2025 में सोने को सेफ हैवन एसेट के रूप में और आकर्षक बना दिया है।
बाजार की मौजूदा स्थिति
सोने की कीमतों में हालिया तेजी का मुख्य कारण आर्थिक अनिश्चितताएं, बढ़ती महंगाई, और भू-राजनीतिक तनाव रहे हैं। खास तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में शुरू हुए ट्रेड वॉर ने निवेशकों को सेफ हैवन एसेट्स की ओर आकर्षित किया है। लेकिन अब कीमतें अपने पीक से करीब 1,000 रुपये नीचे आ चुकी हैं, जो बाजार में अस्थिरता का संकेत देता है। आने वाले महीने यह तय करेंगे कि सोना अपनी तेजी बरकरार रखता है या गिरावट की भविष्यवाणी सच साबित होती है।
फैक्ट चेक
मॉर्निंगस्टार के जॉन मिल्स की भविष्यवाणी कि सोना 55,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक गिर सकता है, कई तर्कों पर आधारित है, लेकिन यह अनुमान पूरी तरह से सटीक नहीं माना जा सकता। सोने की कीमतें कई कारकों पर निर्भर करती हैं, जैसे वैश्विक आर्थिक स्थिति, केंद्रीय बैंकों की नीतियां, और भू-राजनीतिक घटनाएं, जो अत्यंत अस्थिर हो सकती हैं। मिल्स का दावा सप्लाई बढ़ने और डिमांड घटने पर केंद्रित है, लेकिन वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्रीय बैंकों ने 2024 के अंत में 333 टन सोना खरीदा, जो पिछले साल से 54% ज्यादा है। यह डिमांड में कमी के दावे का खंडन करता है। इसके अलावा, गोल्डमैन सैक्स और बैंक ऑफ अमेरिका जैसे संस्थानों के अनुमान (3,300-3,500 डॉलर प्रति औंस) मिल्स की भविष्यवाणी के विपरीत हैं। MCX पर हालिया कीमतें (90,470 रुपये) और वैश्विक स्तर पर 3,100 डॉलर प्रति औंस से ऊपर का कारोबार भी तेजी के रुझान को दर्शाता है। हालांकि, बाजार में अस्थिरता साफ दिख रही है, क्योंकि कीमतें अपने पीक से 1,000 रुपये नीचे आ चुकी हैं। मिल्स की भविष्यवाणी में कुछ आधार हो सकता है, लेकिन यह एक संभावना मात्र है, न कि निश्चित भविष्य। सोने की कीमतें अनिश्चितता के दौर में सेफ हैवन एसेट के रूप में अभी भी मजबूत बनी हुई हैं।