रजिस्टर, इनवॉयस जब्त
कार्रवाई के दौरान पता चला है कि आरोपी कारोबारी बोगस जीएसटी बिलों के आधार पर कबाड़ की खरीद-फरोख्त को वैध दिखा रहे थे। इस प्रक्रिया में न केवल सरकार को राजस्व का भारी नुकसान पहुंचाया गया, बल्कि फर्जीवाड़े के इस जाल में कई फर्जी फर्मों और दूसरे राज्यों के कारोबारियों की भी संलिप्तता सामने आई है। टीम ने जांच के दौरान संबंधित फर्मों से दर्जनों रजिस्टर, इनवॉयस, स्टॉक विवरण और अन्य जरूरी दस्तावेज जब्त किए हैं।
पूछताछ के लिए बुलाया
जांच अधिकारियों के मुताबिक इन कारोबारियों को समन जारी कर जबलपुर सीजीएसटी कार्यालय में पूछताछ के लिए तलब किया गया है। जिन पांच फर्मों पर यह कार्रवाई हुई है, उनमें मेसर्स प्रिंस मेटल्स (मालिक मोहम्मद साजिद), मेसर्स मंसूरी ट्रेडर्स (मालिक मोहम्मद खालिद), मेसर्स प्रिंस इंडस्ट्रीज (मालिक मोहम्मद साजिद), मेसर्स साहिर मेटल्स (मालिक तालिब सौदागर) और मेसर्स दुर्गा मेटल्स (मालिक गोपाल शरण ताम्रकार) शामिल हैं।
एक ही व्यक्ति चला रहा कई फर्मे
सूत्रों की मानें तो इन फर्मों में से तीन का संचालन एक ही व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है, हालांकि नाम अलग-अलग व्यक्तियों के हैं। यह तथ्य भी सीजीएसटी के लिए जांच का अहम हिस्सा बन गया है। इस पूरे मामले में हरियाणा के रोहतक स्थित मेसर्स सुपरटेक नामक कंपनी की भी अहम भूमिका सामने आई है, जिसके फर्जी इनपुट बिलों के माध्यम से छतरपुर के व्यापारी जीएसटी चोरी कर रहे थे।
जब्त दस्तावेज का हो रहा मूल्यांकन
फिलहाल जब्त दस्तावेजों और रजिस्टरों का असेसमेंट (मूल्यांकन) किया जा रहा है। जांच अधिकारियों ने बताया कि असेसमेंट पूरा होने के बाद संबंधित कारोबारियों की जवाबदेही तय की जाएगी और आवश्यकता पडऩे पर कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। सीजीएसटी की इस बड़ी कार्रवाई के बाद छतरपुर के स्क्रैप बाजार में हडक़ंप मच गया है। सूत्रों के मुताबिक इस छापे की जानकारी मिलते ही कई संदिग्ध स्क्रैप व्यापारी दुकानें बंद कर अंडरग्राउंड हो गए हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में और भी बड़ी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।
बारीकी से हो रही जांच
गौरतलब है कि छतरपुर में इससे पहले भी स्क्रैप कारोबार में अनियमितताओं और कर चोरी के मामलों को लेकर कार्रवाई हो चुकी है, लेकिन इस बार की कार्रवाई को अब तक की सबसे बड़ी छानबीन माना जा रहा है। सीजीएसटी विभाग अब इस पूरे नेटवर्क की परतें खोलने में जुटा है, जिससे न केवल टैक्स चोरी पर लगाम लगेगी, बल्कि कालेधन के कारोबार पर भी करारी चोट मानी जा रही है।