बता दें कि अहमदाबाद को 1.32 लाख दर्शकों की क्षमता वाले नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम और मुंबई को देश की वित्तीय राजधानी होने के कारण ओलंपिक की मेजबानी का दावेदार माना जा रहा था। ओलंपिक की मेजबानी के लिए विकल्प चुनने के दौरान शहर की पर्यटन क्षमता, विनिर्माण उद्योग, पहुंच, हवाई अड्डों और जनसंख्या जैसे मुद्दों पर विचार किया जाता है, जिन पर दिल्ली-एनसीआर और आगरा खरे उतरते हैं। इस मुद्दे पर अगले साल प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
इसलिए दावा मजबूत
1. दिल्ली देश की राजधानी है। प्रमुख पर्यटन स्थलों का प्रवेश द्वार है।
2. दिल्ली-एनसीआर और आगरा के आसपास कनेक्टिविटी तेजी से बढ़ रही है। चार हवाई अड्डे हैं। इससे पर्यटकों को सुविधा होगी।
3. भविष्य में नए निर्माण के लिए भूमि उपलब्ध है।
4. ताजमहल दुनिया के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
पर्यटन का रखा जाता है विशेष ध्यान
ओलंपिक आयोजन से जुड़े लोगों का मानना है कि शहर के चयन के दौरान पर्यटन को केंद्र में रखा जाता है। लंदन ओलंपिक-2012 के लिए टेम्स नदी और टावर ब्रिज केंद्र में रखे गए। इसी तरह रियो-2016 में क्राइस्ट द रिडीमर की मूर्ति और फ्रांस में एफिल टावर को प्रमुखता दी गई। इसे देखते हुए भारत में ताजमहल सर्वाधिक प्रतिष्ठित स्थल है। सरकार ताजमहल को ओलंपिक के प्रतीक के रूप में उपयोग कर सकती है।