संगीत से पहला परिचय मां की लोरी से : सचिन का संगीत से पहला परिचय उनकी मां की लोरियों से हुआ। मां जब भी उन्हें सुलातीं, धीमे सुरों में गीत गुनगुनाती थीं। उन सुरों ने सचिन के मन में संगीत के प्रति प्रेम जगा दिया, जो आज भी उनके साथ है।
तंदूरी चिकन और पहला होटल अनुभव : सचिन के बड़े भाई नितिन एयर इंडिया में काम करते थे। एक बार फ्लाइट लेट होने के कारण उन्हें सेंटौर होटल में रुकना पड़ा। दस साल के सचिन ने पहली बार होटल के खाने में तंदूरी चिकन का स्वाद चखा। यह अनुभव उनके लिए किसी जादू से कम नहीं रहा।
भूख में भी दोस्ती नहीं छोड़ी : एक बार सचिन और उनके दोस्त दस-दस रुपए मिलाकर रेस्तरां में चाइनीज़ खाने गए। जब तक खाना सचिन तक पहुंचा, सब खत्म हो चुका था। उन्हें सिर्फ दो चम्मच चाउमिन नसीब हुई। बावजूद इसके, उन्होंने दोस्तों से शिकायत नहीं की, बल्कि भूखे ही घर लौट आए।
जाली में फंसा सिर पर जिद के पक्के : बचपन में नई साइकिल न मिलने से सचिन एक बार इतने नाराज़ हुए कि बालकनी की जाली में सिर फंसा लिया। जब सिर नहीं निकला तो माता-पिता को सिर पर तेल लगाकर निकालना पड़ा। इस घटना के बाद उनके पिता को साइकिल दिलानी ही पड़ी।
टेनिस और जॉन मैकेनरो की नकल : क्रिकेट से पहले सचिन टेनिस के दीवाने थे। उन्हें अमरीकी खिलाड़ी जॉन मैकेनरो बहुत पसंद थे। वे उनके जैसे बाल बढ़ाकर, हेडबैंड पहनकर घूमते थे। उनके पसंदीदा रॉक बैंड्स में पिंक फ्लॉयड, यू2 और डायर स्ट्रेट्स शामिल हैं।
शरारती लेकिन संवेदनशील : 1984 में दूरदर्शन पर एक बार गाइड फिल्म के प्रसारण के समय सचिन और उनके दोस्त आम तोड़ने बाग में चले गए। पेड़ से गिरने के बाद पकड़े गए। भाई अजित ने उनकी ऊर्जा को सही दिशा देने के लिए उन्हें रमाकांत आचरेकर के कैंप में भेजा। यहीं से उनके क्रिकेट सफर की शुरुआत हुई।
एक ही जोड़ी कपड़ों में बना ‘लिटिल मास्टर’ : शुरुआत में सचिन के पास क्रिकेट के लिए केवल एक जोड़ी कपड़े हुआ करते थे। वे सुबह अभ्यास के बाद उन्हें धोते थे। सूखने पर वही कपड़े शाम के अभ्यास में पहनकर जाते। कभी-कभी गीली जेबों के साथ ही मैदान में उतर जाते थे।
हर दौरे से पहले आशीर्वाद : हर सीरीज़ या विदेश दौरे से पहले सचिन शिवाजी पार्क के गणेश मंदिर, सिद्धिविनायक, चाचा-चाची और आचरेकर सर के पास आशीर्वाद लेने जाते थे। पहले अनुबंध पर भाई के साइन : सोलह साल की उम्र में सचिन वर्ष 1989 के पाकिस्तान दौरे के लिए पहली बार भारतीय टीम में चुने गए। अनुबंध पर सचिन नाबालिग होने के कारण साइन नहीं कर सकते थे। उनके भाई अजित ने उनके स्थान पर अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।
पहली नजर का प्यार अंजलि : 1990 में इंग्लैंड से लौटते वक्त सचिन की अंजलि से मुंबई एयरपोर्ट पर पहली बार नजरें मिलीं। अंजलि ने सचिन से पहली मुलाकात उनके घर पर मीडिया रिपोर्टर बनकर की। फिर मेरीन ड्राइव पर नारियल पानी और लंबी बातचीत। बाद में यह रिश्ता जीवनभर की दोस्ती में बदल गया।
रोज़ा फिल्म और नकली मूंछें : 1993 में अंजलि और उनके परिजन के साथ रोजा फिल्म देखने के लिए सचिन ने नकली मूंछ और चश्मा पहन लिया, लेकिन इंटरवल के बाद उनका भेद खुल गया। सिनेमा हॉल में मौजूद लोग उन्हें पहचान गए और उन्हें बाहर सुरक्षित निकालना पड़ा।
हनीमून के बाद तंग हो गए कपड़े : 1995 में गोवा में हनीमून पर गए सचिन ने खूब चॉकलेट और आइसक्रीम खाई। लौटने पर वजन बढ़ गया और उनके सारे कपड़े तंग हो गए।
जब चेहरा लाल हो गया : 2007 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाते समय उन्होंने सिंगापुर हवाई अड्डे से नया लांच हुआ मॉइस्चराइज़र खरीदा। उसका इस्तेमाल करने पर चेहरा बुरी तरह लाल हो गया। डॉक्टर की मदद से संक्रमण काबू में आया।
हर चीज़ पर नाम : मुंबई में वर्ष 2013 में अपने अंतिम टेस्ट से एक रात पहले जब सचिन होटल पहुंचे तो हर चीज़ जैसे तकिया, साबुन, शैम्पू पर उनका नाम लिखा था। होटल की हर लिफ्ट में सचिन की तस्वीरें लगी हुई थी।
भाई अजित हमेशा साथ : बड़े भाई अजित ने सचिन के बचपन से उनका मार्ग दर्शन किया। यहां तक कि आखिरी टेस्ट के बाद भी उन्होंने सचिन से उनके आउट होने के तरीके पर चर्चा की।
विराट कोहली का भावुक उपहार : सचिन के विदाई टेस्ट के बाद विराट कोहली ने अपने पिता द्वारा दिया गया पवित्र धागा उन्हें भेंट किया। कोहली ने कहा, “इसे मैं किसी खास को देना चाहता था। इतना कहते ही सचिन की आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने विराट को गले लगा लिया।