1978 में पीएम मोरारजी देसाई ने किया था वादा
वैसे यह योजना पूर्व में मांडू के नाम से बनी थी, लेकिन तकनीक संसाधनों की कमी और बजट के अभाव में स्वीकृत नहीं हो पाई। साल 1978 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मुरारजी देसाई (Former PM Morarji Desai) ने इसकी घोषणा की थी। लंबे अरसे से मालवा के किसान नर्मदा का पानी लाने की मांग करते आ रहे हैं, यह सपना अब जाकार साकार होगा। योजना को स्वीकृत कराने में पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ नेता विक्रम वर्मा और धार विधायक नीना वर्मा ने भी लगातार प्रयास किए। यह भी पढ़े –
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विधायक से जब पत्रिका ने पूछा कि योजना सिंचाई के हिसाब से तैयार हुई है. इसमें धार को पानी कैसे मिलेगा, तो इसके जवाब में विधायक ने कहा कि धार को बदनावर माइक्रो सिंचाई परियोजना से पानी देने का प्लान बन चुका है। इस योजना पर काम भी चल रहा है। जैसे ही योजना पूरी होगी, धार को उसके हिस्से का पानी मिलेगा। जरुरत पड़ी तो हम धार माइक्रो सिंचाई परियोजना से भी धार तक पानी लाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि धार में नर्मदा का पानी पीने को मिलेगा और यह हमारी प्राथमिकता में शामिल है। सिंचाई परियोजना के माध्यम से तालाबों में पूरे साल पानी रहेगा और इससे भूमिगत जलस्तर बना रहेगा। इससे बोरिंग और ट्यूबवेल कभी बंद नहीं होंगे।
1800 करोड़ की योजना
धार माइको सिंचाई परियोजना का ड्राफ्ट एनवीडीए ने तैयार किया है। योजना की लागत 1800 करोड़ से अधिक है। इसमें धरमपुरी तहसील के पिपल्दागढ़ी से नर्मदा का पानी लिफ्ट कर धार और पीथमपुर क्षेत्र में लाया जाएगा। इसमें 33.5 किमी की अंडरग्राउंड पाइप लाइन डाली जाएगी।