धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व बफर जोन बनने के बाद करीब चालीस हजार तक की आबादी का विस्थापन होगा। विभाग ने बफर जोन के भीतर स्थित 108 गांवों के ग्रामीणों को स्वेच्छा से विस्थापित करने का इरादा है। सरकार ने इन गांवों के लोगों को मुआवजे के तौर पर मोटी रकम देने का निर्णय भी किया है। फिर भी इस योजना के खिलाफ इलाके के लोग संतुष्ट नहीं हैं। वनविभाग ने अभ्यारण्य से लोगों की सुरक्षा की खातिर अस्थायी खिरकारियों को हटाना शुरू कर दिया है। वन अधिकारियों ने लोगों से समझाइश करते हुए खिरकारियों को खाली करने का अल्टीमेटम दिया जा रहा है। वन अधिकारियों को मानना है कि जंगल में जानवरों के विचरण करने के कारण कभी भी कोई हादसा घटित हो सकता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बफर जोन में धौलपुर जिले के 60 गांव और करौली जिले के 48 गांव सहित कुल 108 गांव शामिल हैं। इससे करीब 35 से 40 हजार की आबादी प्रभावित होने की संभावना है।
21 साल की उम्र वालों को मिलेंगे 15 लाख सरकार की मुआवजा नीति के मुताबिक विस्थापित होने वाले प्रत्येक परिवार के पति-पत्नी को संयुक्त रूप से 15 लाख रुपए दिए जाएंगे। इसके अलावा परिवार के प्रत्येक ऐसे सदस्य जिसकी उम्र 21 साल या उससे अधिक है। अलग से 15-15 लाख रुपए का मुआवजा मिलेगा। मुआवजे के अलावा सरकार ने विस्थापित परिवारों के बेरोजगार युवाओं को टाइगर रिजर्व एरिया में रोजगार देने का प्रावधान भी किया है।
धौलपुर की पांच सेंचुरी से बनी पहचान धौलपुर अब धीरे-धीरे वन्यजीवों का सुरक्षित आश्रय बन रहा है। धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व क्षेत्र में फिलहाल पांच बाघों का मूवमेंट देखा जा रहा है। जिनमें टी-116, टी-117 और उनके तीन शावक शामिल हैं। धौलपुर ऐसा जिला बन गया है जहां केशरबाग, वन विहार, रामसागर, चंबल और धौलपुर करौली टाइगर रिजर्व सहित कुल पांच अभ्यारण्य है। करौली-धौलपुर टाइगर रिजर्व का कोर एरिया करीब 599 वर्ग किलोमीटर और बफर एरिया करीब 457 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। अभ्यारण्य का कुल रिजर्व एरिया 1075 वर्ग किलोमीटर होगा। प्रदेश में रणथंभौर, सरिस्का, मुकुंदरा हिल्स और रामगढ़ विषधारी जैसे रिजर्व पहले ही पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। अब धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व के जुडऩे से नई टाइगर सफारी डेस्टिनेशन के रूप में यह क्षेत्र उभर सकता है।
बीलौनी में पैंथर का आतंक, ग्रामीण भयभीत उपखंड के बीलोनी गांव में इन दिनों पैंथर का आतंक बना हुआ है। पैंथर ने आबादी क्षेत्र में छह दुधारू पशुओं को एक सप्ताह के अंदर अपना शिकार बनाया है। जिससे पूरे गांव में दहशत का माहौल बना हुआ है और ग्रामीण अपने घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। पैंथर के आतंक से परेशान ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी हैं। एवं ग्रामीणों ने वन विभाग से गांव में जल्द से जल्द पिंजरा लगाकर पैंथर को पकडऩे की मांग की है। जानकारी के अनुसार बीलोनी निवासी भगवान सिंह की तीन बकरी, पशुपालक रिंकू की गाय एवं भूपेंद्र की एक भैंस को पैंथर ने अपना शिकार बनाया है।
बसेड़ी विधायक ने किया सरकार की नीतियों का विरोध बसेड़ी विधायक संजय कुमार जाटव ने सरकार की नीतियों का विरोध करते कहा कि सरकार ने कोर व बफर जोन बनाने में ना तो जनमानस की भावनाओं का ध्यान रखा गया है, न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों से कोई राय ली गई। विधायक ने कहा कि सरकार ने ग्रामीणों को विस्थापन करने की गाइडलाइन तो बना दी है, लेकिन कोई खुलासा नही किया है। उन्होंने कहा कि यह भी स्पष्ट नही है कि प्रभावित लोगों को कितना मुआवजा मिलेगा और कितनी जमीन दी जाएगी, इसका कोई उल्लेख भी नही है।
बफर जोन से ग्रामीणों को स्वेच्छा से विस्थापित किया जाएगा। विभाग ने अभी विस्थापन की कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की है। हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से अभ्यारण्य में से अस्थायी रूप से बनी खिरकारियों को खाली कराया जा रहा है। ग्रामीण अफवाहों पर ध्यान नहीं देें, विस्थापितों को सरकार रोजगार और उचित मुआवजा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
-देवेन्द्र सिंह चौहान, रेंजर वाइल्ड लाइफ सरमथुरा