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बड़ा संकट! खरीदार का इंतजार कर रहे किसान.. 700 में बिकने वाले टमाटर के कैरेट 70 में भी नहीं बिक रहें

CG News: दुर्ग जिले का धमधा ब्लॉक, जहां ज्यादा मुनाफा के कारण 70 फीसदी से ज्यादा किसान टमाटर की खेती करते हैं।पूरे प्रदेश में सर्वाधिक 1 लाख 90 हजार मीटि्रक टन टमाटर की पैदावार यहीं होता है।

दुर्गFeb 03, 2025 / 09:21 am

Shradha Jaiswal

बड़ा संकट! खरीदार का इंतजार कर रहे किसान.. 700 में बिकने वाले टमाटर के कैरेट 70 में भी नहीं बिक रहें
CG News: हेमंत कपूर. छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले का धमधा ब्लॉक, जहां ज्यादा मुनाफा के कारण 70 फीसदी से ज्यादा किसान टमाटर की खेती करते हैं। पूरे प्रदेश में सर्वाधिक 1 लाख 90 हजार मीटि्रक टन टमाटर की पैदावार यहीं होता है, लेकिन पहले बदली व बारिश और अब बंपर आवक ने किसानों की गणित बिगाड़ दिया है।
पिछले सीजन तक यहां खेतों में आकर यूपी-दिल्ली के व्यापारी स्थानीय बाजार से दोगुने दाम पर टमाटर खरीदकर ले जाते थे, लेकिन इस बार दिल्ली तो दूर लोकल बाजार में भी खोजने से खरीदार नहीं मिल रहे हैं। लोकल बाडिय़ों से आवक के पहले टमाटर 700 से 800 रुपए कैरेट बिक रहा था। वहीं अब बाजार में 70 से 80 रुपए कीमत में भी नहीं मिल रहा है।
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CG News: तोड़ाई की मजदूरी भी नहीं निकल रही

धमधा के कई गांवों के किसानों की यहीं पीड़ा है। पत्रिका ने धमधा के सिलीडीह, कन्हारपुरी, पथरिया, डोमा, जाताघर्रा, गाड़ाघाट, दानी कोकड़ी, घसरा, खिलोरा, सुखरीकला के किसानों से टमाटर की खेती का हाल जाना। परसुली के किसान भागीरथी पटेल ने बताया टमाटर और सब्जी की कीमत नहीं मिलने से हालत खराब है।
स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खेतों से टमाटर तोडऩे की भी मजदूरी नहीं निकाल पा रही है। इसी गांव के विष्णु पटले, गणेश पटेल, उत्तम साहू और झेंझरी के युवराज देशमुख का कहना है कि दाम गिरने के कारण कोई खरीदार नहीं मिल रहा है।बोड़ेगांव के किसान देवेंद्र ताम्रकार ने बताया कि दुर्ग मंडी में टमाटर 60 से 70 रुपए कैरेट बिक रहा है।

गांवों में फेरी लगाकर बेचने की मजबूरी

बोड़ेगांव के किसान रवि ताम्रकार बताते हैं कि टमाटर की कीमत नहीं मिलने से हालत खराब है। स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खेतों से टमाटर तोडऩे की भी मजदूरी नहीं निकाल पा रही है। उनका कहना है कि दाम गिरने के कारण कोई खरीदार नहीं मिल रहा है, ऐसे में आसपास के गांवों में फेरी लगवाकर टमाटर बिकवाना पड़ रहा है।

120 रुपए किलो तक बिका था टमाटर

इससे पहले पिछले साल सितंबर में टमाटर 100 से 120 रुपए किलो तक बिका था। अन्य प्रदेशों में बेमौसम बारिश के कारण फसल खराब हो गई थी। इससे उपजे शार्टेज के कारण जून से ही टमाटर हिमाचल: टमाटर का दाम हो गया लालम लाल। कैसेकी कीमतें बढऩी शुरू हो गई थी, जो सितंबर में 120 रुपए तक पहुंच गया था।

बाजार में इसलिए नहीं मिल रही कीमत

जिले में करीब 35 हजार किसान टमाटर व सब्जियों की खेती करते हैं। इनमें 80 फीसदी किसान छोटे व मंझोले किसान है। इनके उत्पादन की अधिकतर खपत लोकल बाजार में होती है। कुछ मंझोले किसान ‘अरे नीचे आ जाओ….’ चिल्लाते रहे घरवाले, 7 घंटे मोबाइल टॉवर पर लटका रहा किसानबड़े व्यापारियों से समझौता कर अन्य प्रदेशों में सप्लाई कर लेते हैं। प्रतिकूल मौसम के कारण अन्य प्रदेशों से डिमांड नहीं आ रहा। ऐसे में केवल लोकल बाजार का विकल्प रह गया है। जहां खरीदार कम हो गए हैं और आवक बढ़ गई है।

ऐसे समझें नुकसान को

  • टमाटर की हाईटेक खेती में एक लाख 40 हजार रुपए प्रति एकड़ तक खर्च आता है। इससे औसत 60 से 70 टन प्रति एकड़ उत्पादन आता है। 5 रुपए प्रति किलो भी बिका तो इससे 2 लाख 50 हजार रुपए आमदनी हो जाती है, लेकिन मौजूदा दर से लागत की आधी कीमत भी नहीं मिल पाएगी।
  • कई किसान परंपरागत तरीके से भी टमाटर की खेती करते हैं। उन्हें 67 से 70 हजार रुपए खर्च करना पड़ता है। इस तकनीक से 40 से 50 टन टमाटर का उत्पादन होता है। इससे सामान्य स्थिति में एक से सवा लाख रुपए आमदनी हो जाती है, लेकिन इस बार कीमत की भरपाई नहीं होने की स्थिति बन गई है।
किसान बोड़ेगांव रविप्रकाश ताम्रकार ने कहा की सामान्य स्थिति में कम कीमत के बाद भी थोड़ी कमाई हो जाती है। इसलिए टमाटर की फसल लगाया था, लेकिन इस बार कमाई की जगह नुकसान हो गया। मंडी में 70 से 80 रुपए कैरेट में भी टमाटर के ख्ररीदार नहीं मिल रहे।

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