छत्तीसगढ़ का चमत्कारी शिवलिंग, जो हर वर्ष बढ़ता है..! जानें इस शिवधाम की मान्यताएं….
Lingam Bhuteshwara Temple: जिसे भूतेश्वर महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित एक अत्यंत पवित्र और प्रसिद्ध शिव मंदिर है।
Lingam Bhuteshwara Temple: लिंगम भूतेश्वर मंदिर, जिसे भूतेश्वर महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित एक अत्यंत पवित्र और प्रसिद्ध शिव मंदिर है। यह मंदिर विशेष रूप से अपने विशाल और प्राकृतिक रूप से निरंतर बढ़ने वाले शिवलिंग के कारण श्रद्धालुओं और पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
यह अद्भुत शिवलिंग भू-गर्भ से स्वयं प्रकट हुआ माना जाता है और इसकी ऊंचाई हर वर्ष कुछ मिलीमीटर बढ़ती है, जो इसे और भी रहस्यमय और दिव्य बनाती है। घने जंगलों और शांत वातावरण से घिरे इस मंदिर को आस्था और प्रकृति के अद्वितीय संगम के रूप में देखा जाता है। विशेष अवसरों पर यहां भक्तों की बड़ी संख्या दर्शन और पूजन के लिए पहुंचती है।
Lingam Bhuteshwara Temple: एशिया का सबसे बड़ा स्वयंभू शिवलिंग
भूतेश्वर महादेव मंदिर में स्थित शिवलिंग को “एशिया का सबसे बड़ा स्वयंभू शिवलिंग” माना जाता है। यह शिवलिंग किसी मानव द्वारा निर्मित नहीं, बल्कि प्राकृतिक रूप से धरती से स्वयं प्रकट (स्वयंभू) हुआ है। इसकी विशेषता यह है कि यह शिवलिंग हर वर्ष कुछ मिलीमीटर की दर से स्वतः बढ़ता जा रहा है, जिसे वैज्ञानिक भी अब एक अद्भुत प्राकृतिक रहस्य मानते हैं।
लगभग 18 फीट ऊँचा और 20 फीट गोलाई वाला यह शिवलिंग आकार में लगातार वृद्धि के कारण न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भूगर्भीय अध्ययन के लिए भी आकर्षण का विषय बन गया है। शिवभक्त इस स्थान को अत्यंत पवित्र मानते हैं और महाशिवरात्रि जैसे पर्वों पर यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुँचते हैं।
हर वर्ष कुछ मिलीमीटर बढ़ता है शिवलिंग
गरियाबंद जिले के लिंगम भूतेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग अपनी अनोखी विशेषता के कारण दुनियाभर में प्रसिद्ध है — यह शिवलिंग प्राकृतिक रूप से हर वर्ष कुछ मिलीमीटर बढ़ता है। यह कोई साधारण मूर्ति नहीं, बल्कि स्वयंभू शिवलिंग है, जो भूमि से स्वयं प्रकट हुआ है और समय के साथ इसका आकार भी स्वतः बड़ा होता जा रहा है।
स्थानीय मान्यताओं और श्रद्धालुओं के अनुसार, शिवलिंग की यह वृद्धि ईश्वरीय चमत्कार है, जबकि कुछ वैज्ञानिक इसे भूगर्भीय प्रक्रिया से जोड़कर देखना चाहते हैं। वर्तमान में यह शिवलिंग लगभग 18 फीट ऊँचा और 20 फीट परिधि वाला है, और इसकी निरंतर होती वृद्धि हर वर्ष शिवरात्रि पर मापी जाती है।
यह बढ़ता हुआ शिवलिंग न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह आश्चर्य और शोध का विषय भी बन गया है, जो इसे छत्तीसगढ़ का एक अनोखा और चमत्कारिक स्थल बनाता है।
गहरा धार्मिक महत्व
भूतेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग न केवल अपनी विशालता और स्वाभाविक वृद्धि के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसका गहरा धार्मिक महत्व भी है। यह स्थान भगवान शिव के स्वयंभू स्वरूप के रूप में पूजित होता है, जो इसे अत्यंत पवित्र और चमत्कारी बनाता है। मान्यता है कि इस स्थान पर पूजा-अर्चना करने से भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और उन्हें शांति व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
हर वर्ष महाशिवरात्रि और सावन के महीने में यहां दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु दर्शन और जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। विशेष रूप से महाशिवरात्रि पर यहाँ भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमें छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि देश के अन्य हिस्सों से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं।
इस मंदिर से जुड़ी अनेक लोककथाएं और आस्थाएं वर्षों से प्रचलित हैं, जो इसे केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, विश्वास और चमत्कार का प्रतीक बनाती हैं।
ऊँचाई लगभग 80 फीट और गोलाई (परिधि) लगभग 290 फीट
भूतेश्वर महादेव मंदिर में स्थित शिवलिंग अपनी विशालता और रहस्यमयी वृद्धि के लिए प्रसिद्ध है। यह शिवलिंग न केवल स्वयंभू है, बल्कि यह हर वर्ष स्वतः कुछ इंच बढ़ता भी है, जो इसे अत्यंत अनोखा और चमत्कारी बनाता है। वर्तमान में इस शिवलिंग की ऊँचाई लगभग 80 फीट और गोलाई (परिधि) लगभग 290 फीट आंकी गई है, जिससे यह एशिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग माना जाता है।
स्थानीय प्रशासन और श्रद्धालु महाशिवरात्रि के अवसर पर इसकी नियमित माप करते हैं, जिसमें यह पाया गया है कि इसकी ऊँचाई में हर साल करीब 6 से 8 इंच की वृद्धि होती है। इसकी लगातार होती वृद्धि को आस्था और विज्ञान दोनों दृष्टियों से विश्लेषित किया जाता है। इस अद्वितीय विशेषता के कारण यह शिवलिंग श्रद्धालुओं, पर्यटकों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
मंदिर की खोज…
भूतेश्वर महादेव मंदिर की खोज लगभग 30 वर्ष पहले हुई थी, जब आसपास के ग्रामीणों को एक टीले से नियमित रूप से बैल के हुंकारने जैसी रहस्यमयी आवाजें सुनाई देती थीं। इस अलौकिक अनुभव से प्रभावित होकर ग्रामीणों ने उस टीले को ईश्वरीय संकेत माना और वहां खुदाई शुरू की।
खुदाई के दौरान एक विशाल शिवलिंग का प्रकट होना सभी के लिए आश्चर्य का विषय बना, जिसे बाद में स्वयंभू शिवलिंग के रूप में स्वीकार किया गया। तभी से इस स्थान को अत्यंत पवित्र मानकर भगवान शिव के मंदिर के रूप में पूजा जाना शुरू हुआ।
महाशिवरात्रि में भक्तों की भीड़…
भूतेश्वर महादेव मंदिर में हर वर्ष सावन माह और महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं की विशाल भीड़ उमड़ती है। विशेष रूप से कांवड़ यात्रा के दौरान, हजारों श्रद्धालु नजदीकी नदियों से पवित्र जल लेकर कई किलोमीटर की पैदल यात्रा करके यहां पहुंचते हैं और शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं। इन अवसरों पर मंदिर परिसर भक्ति, भजन और धार्मिक उत्साह से सराबोर हो जाता है, और यह स्थान श्रद्धा और आस्था का जीवंत केंद्र बन जाता है।
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