सूत्रों का कहना है कि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (DME) और ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे (EPE) से लगे 77 गांवों में फिलहाल तेजी से अनियोजित निर्माण हो रहे हैं। जो शहरी विकास के हिसाब से ठीक नहीं हैं। इस अनियोजित निर्माण पर लगाम लगाने के लिए
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) ने दोनों स्पीडवे पर 500 मीटर के दायरे में आने वाले 77 गांवों को अपने दायरे में लाने की योजना बनाई है। इनमें से 31 गांव बागपत की केखरा तहसील में और बाकी गाजियाबाद के लोनी और मोदीनगर में हैं। जो मौजूदा समय में ग्राम पंचायतों के अधीन हैं।
बेतरतीब विकास बढ़ा रहा अधिकारियों की चिंता
जीडीए के सूत्रों की मानें तो इन 77 गांवों में बिना अप्रूवल घर और दुकानें बनाई जा रही हैं। जिससे इन गांवों में बेतरतीब विकास को गति मिल रही है। अब 18 मार्च को होने वाली जीडीए की बैठक में इन गांवों को जीडीए के अधीन करने के प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी। इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही इन गांवों के लिए अधिसूचना जारी की जाएगी। इसके बाद इन गांवों में निर्माण कराने से पहले जीडीए की अप्रूवल लेनी जरूरी हो जाएगी। इसके साथ ही जीडीए की सभी योजनाएं भी इन गांवों में लागू होंगी। इससे गांवों का चौतरफा विकास भी होगा। एनसीआर योजना बोर्ड ने जीडीए को लिखा पत्र
एनसीआर योजना बोर्ड के मुख्य समन्वयक और प्लानर एससी गौर ने बताया “साल 2011-12 में एनसीआर योजना प्रकोष्ठ ने सब रीजनल प्लान में इन गांवों को जीडीए के अधीन लाने का प्रस्ताव दिया था। इसके बाद संभावना जताई जा रही थी कि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे और ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे के शुरू होने के बाद इसपर अमल किया जाएगा। साल 2018 में हमने जीडीए को पत्र लिखकर बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पेश करने की मांग की थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसलिए हमने एक बार फिर जीडीए को इस प्रस्ताव पर चर्चा करने और इसे पारित कराने के लिए पत्र लिखा है।”
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के किनारे हैं 26 गांव
एसएसी गौर ने एचटी को बताया “दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (DME) और ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे (EPE) को चालू हुए कई साल हो चुके हैं। इसके साथ ही इन दोनों स्पीड-वे के दोनों तरफ गांवों में तेजी से अनियोजित विकास हो रहा है। इसलिए इसे जीडीए के अधिकार क्षेत्र में लाना जरूरी है। ताकि अनियोजित विकास को सुनियोजित विकास में बदला जा सके। इससे गांवों को भी बड़ा फायदा होगा।” उन्होंने आगे बताया “एनसीआर योजना बोर्ड के एक सर्वेक्षण के अनुसार गाजियाबाद के लोनी और मोदीनगर समेत बागपत के केखरा में ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे (EPE) के दोनों ओर 51 गांव हैं। वहीं दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (DME) के किनारे 26 गांव बसे हैं। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (DME) के किनारे के ज्यादातर गांव मोदीनगर और गाजियाबाद शहर से करीब हैं। अगर हमारे प्रस्ताव को जीडीए की बैठक में मंजूरी मिलती है तो इन गांवों के विकास में चार चांद तो लगेंगे ही। साथ ही जीडीए के अधिकार क्षेत्र में भी बढ़ोतरी होगी।”