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ग्रेटर नोएडा

यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की चार बिल्डर प्रोजेक्ट्स की CBI जांच शुरू 

CBI ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यमुना एक्सप्रेसवे के चार बिल्डर प्रोजेक्ट्स में इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम घोटाले की जांच शुरू की, दस्तावेज मंगवाकर प्रक्रिया आगे बढ़ाई।

ग्रेटर नोएडाMay 13, 2025 / 10:36 pm

Nishant Kumar

CBI
CBI ने यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अंतर्गत आने वाले चार प्रमुख बिल्डर प्रोजेक्ट्स की जांच शुरू कर दी है। यह जांच उच्चतम न्यायालय के आदेश पर प्रारंभ की गई है, जिसमें बिल्डरों और बैंकों के बीच इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम के तहत हुए संभावित घोटाले और मिलीभगत की गहराई से पड़ताल की जाएगी। 

चार बिल्डरों से मांगी जानकारी 

सीबीआई के इकोनॉमिक ऑफेंस विंग द्वारा 7 मई 2025 को यमुना अथॉरिटी को एक पत्र जारी किया गया है, जिसमें चार बिल्डर प्रोजेक्ट्स से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज और जानकारी मांगी गई है। यह पत्र सीबीआई के अधिकारी राम सिंह द्वारा हस्ताक्षरित है।

इन बिल्डर्स पर जांच 

सीबीआई ने जिन चार प्रोजेक्ट्स की जांच शुरू की है, उनमें जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड और जेपी स्पोर्ट्स इंटरनेशनल लिमिटेड की एसडीजेड सेक्टर 25 स्थित दो संयुक्त परियोजनाएं प्रोजेक्ट कोव और प्रोजेक्ट कैसिया शामिल हैं। इनके अलावा सुपरटेक लिमिटेड की अपकंट्री परियोजना (सेक्टर-17ए, यमुना एक्सप्रेसवे) और ओएसिस ग्रैंडस्टैंड (फेज 1) (जीएच 01, टीएस 01बी सेक्टर-22डी, यमुना एक्सप्रेसवे) की भी जांच की जा रही है।

मांगे गए ये कागजात 

सीबीआई द्वारा प्राधिकरण से चार प्रमुख बिंदुओं पर दस्तावेज मांगे गए हैं। इनमें लैंड अलॉटमेंट और लीज डीड की प्रतिलिपियां, बिल्डिंग प्लान की स्वीकृति से संबंधित दस्तावेज, बिल्डरों द्वारा भुगतान किए गए लीज रेंट और अन्य शुल्क का विवरण, अथॉरिटी और बिल्डरों के बीच हुई पत्राचार की प्रतियां शामिल हैं।

अभी तक दो अधिकारी जांच में शामिल 

सीबीआई ने स्पष्ट किया था कि इन दस्तावेजों को 13 मई 2025 तक उपलब्ध कराया जाए ताकि संबंधित अधिकारी जांच प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकें। इस पत्राचार में दो जांच अधिकारियों नितेश कुमार (एडिशनल एसपी) और दीप शर्मा (इंस्पेक्टर ऑफ पुलिस) का उल्लेख किया गया है।

CBI ने शुरू की जांच 

यमुना अथॉरिटी ने सीबीआई को मांगे गए दस्तावेज सौंप दिए हैं और सीबीआई ने अब जांच की औपचारिक शुरुआत कर दी है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित एक मामले से संबंधित है, जिसमें याचिकाकर्ता हिमांशु सिंह हैं। इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम के माध्यम से होम लोन लेने वाले ग्राहकों से बिल्डरों और बैंकों की मिलीभगत से धोखाधड़ी की गई, जिसमें ग्राहकों को बिना जानकारी दिए ईएमआई बैंक से भुगतान दिखाया गया।
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सीबीआई की यह कार्रवाई बिल्डर-बैंक नेक्सस के खिलाफ एक अहम कड़ी मानी जा रही है। जांच से यह भी स्पष्ट हो सकता है कि क्या यमुना अथॉरिटी की ओर से इन प्रोजेक्ट्स को मंजूरी देने में कोई अनियमितता हुई।

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