scriptमाकपा के राज्य सम्मेलन में बोले वक्ता, जिन्होंने आंवले का मुरब्बा नहीं देखा, हमारे संघर्ष ने उनको मुरब्बा जमीनें दिलाई | city news | Patrika News
हनुमानगढ़

माकपा के राज्य सम्मेलन में बोले वक्ता, जिन्होंने आंवले का मुरब्बा नहीं देखा, हमारे संघर्ष ने उनको मुरब्बा जमीनें दिलाई

हनुमानगढ़. जिन्होंने आंवले का मुरब्बा नहीं देखा, हमारे संघर्ष से उनको मुरब्बा-मुरब्बा जमीनें मिली। जो यह बताने के लिए काफी है कि हमारी पार्टी संघर्ष के लिए किस तरह से तत्पर रहती है।

हनुमानगढ़Dec 13, 2024 / 08:38 pm

Purushottam Jha

माकपा के राज्य सम्मेलन में बोले वक्ता, जिन्होंने आंवले का मुरब्बा नहीं देखा, हमारे संघर्ष ने उनको मुरब्बा जमीनें दिलाई

माकपा के राज्य सम्मेलन में बोले वक्ता, जिन्होंने आंवले का मुरब्बा नहीं देखा, हमारे संघर्ष ने उनको मुरब्बा जमीनें दिलाई

-पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात ने कहा, एक देश-एक चुनाव की नीति लोकतंत्र विरोधी कदम
-बीते पलों को याद कर बोले बेनीवाल, कभी आग से खेलता था हनुमानगढ़ शहर, सरकारें झुकने को होती थी मजबूर
हनुमानगढ़. जिन्होंने आंवले का मुरब्बा नहीं देखा, हमारे संघर्ष से उनको मुरब्बा-मुरब्बा जमीनें मिली। जो यह बताने के लिए काफी है कि हमारी पार्टी संघर्ष के लिए किस तरह से तत्पर रहती है। यह बात शुक्रवार को जंक्शन के दुर्गा मंदिर धर्मशाला में माकपा के राज्य सम्मेलन में पूर्व विधायक हेतराम बेनीवाल ने कही। उन्होंने पचास व सत्तर के दशक में हुए आंदोलनों का जिक्र कर कहा कि संगठन की ओर से किए गए आंदोलन के बाद भूमिहीन दलितों और अन्य कमजोर वर्ग के लोगों को 25-25 बीघा भूमि आवंटित हुई। पूर्व सांसद दिवंगत श्योपत सिंह के नेतृत्व में किसान व मजदूर हितों को लेकर किए गए आंदोलन का उल्लेख करके बेनीवाल ने कहा कि कभी हनुमानगढ़ शहर आग से खेला करता था। आंदोलन की आग इस तरह फैलती कि सरकारें झुकने को मजबूर होती। उन्होंने कहा कि किसान-मजदूरों के हितों की बात आ जाए तो कांगे्रस भी भाजपा के नक्शे कदम पर चलने लगती है। परंतु माकपा किसान व मजदूरों की हमेशा आवाज बनकर उनके हितों के लिए संघर्ष करती है। अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव बीजू कृष्णन ने कहा कि हनुमानगढ़ सहित राजस्थान में हो रहे आंदोलनों से पूरा देश प्रेरणा ले रहा है। सिंचाई पानी व फसल बीमा क्लेम के लिए जैसे हनुमानगढ़ के माकपा कार्यकर्ताओं ने लड़ाई लड़ी, वह पूरे देश के लिए प्रेरणादायी बनी। उन्होंने कहा कि देश में नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद से किसान व मजदूर लगातार आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। मोदी सरकार गरीबों की जमीनें अमीरों को देने की साजिश कर रही है। इसके लिए विरोध में माकपा कार्यकर्ता लाल झंडे के नीचे एकत्रित होकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं। इसी वजह से 56 इंच की सीना वाले पीएम मोदी को तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़े हैं। पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात ने कहा कि केंद्रीय समिति ने रामनाथ कोविंद समिति की सिफारिशों के आधार पर केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकार की गई ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ अवधारणा ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि संसद, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के एक साथ चुनाव कराने के लिए उठाए जाने वाले कदम संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली और संघीय ढांचे को कमजोर करेंगे। यह राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के लिए पांच साल के कार्यकाल की संवैधानिक योजना का उल्लंघन करेगा। एक देश-एक चुनाव केंद्रीकृत-एकात्मक प्रणाली लाएगा। जो राज्यों और उनके निर्वाचित विधानसभाओं के अधिकारों को कुचल देगा। करात ने कहा कि भाजपा की मोदी सरकार के पिछले दस साल के आने के बाद से भूख और कुपोषण की भयावहता बढ़ी है। सांप्रदायिक और जातिवादी हमलों में वृद्धि हुई है। करात ने कहा कि मोदी सरकार मस्जिदों के नीचे मंदिर तलाशने का काम कर रही है। जबकि देश में बेरोजगारी चरम पर पहुंच गई है। इससे आमजन त्रस्त है। माकपा नेता अमराराम, रामेश्वर सिंह वर्मा, फूलचंद बर्बर, दुलीचंद बलौदा, पूर्व विधायक बलवान पूनिया, श्योपत मेघवाल, रघुवीर सिंह वर्मा, शिक्षक नेता हनुमान प्रसाद शर्मा, सुमित्रा चोपड़ा, किशन पारीक, आत्मा सिंह ने भी विचार रखे। मंगेज चौधरी, महेंद्र शर्मा आदि युवा नेताओं ने सम्मेलन के दौरान व्यवस्थाएं संभाली।

संबंधित खबरें

एमएसपी नहीं मिलने से आर्थिक स्थिति हो रही कमजोर
माकपा नेता अमराराम ने कहा कि मोदी सरकार अब परदे के पीछे छिप नहीं सकती। वे 15 दिन से संसद में अदानी मामले में मुंह नहीं खोल रहे हैं। जबकि उन्हें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को संयुक्त राज्य अमेरिका में अभियोजन पक्ष द्वारा उपलब्ध कराई गई सामग्री के आधार पर तुरंत मामला दर्ज करने का निर्देश दिया जाना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं करके मोदी कार्पोरेट घरानों से अपने घनिष्ठ संबंधों को स्पष्ट कर रहे हैं। अमराराम ने कहा कि किसान पिछले लंबे समय से अपनी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग कर रहा है। जबकि केंद्र सरकार किसानों की बात सुनने के लिए तैयार नहीं है। एमएसपी नहीं मिलने से किसानों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो रही है। पूर्व विधायक बलवान पूनियां ने कहा कि अगले तीन दिनों तक प्रदेश भर से चुनिंदा पार्टी प्रतिनिधि हनुमानगढ़ में रहेंगे और प्रदेश की राजनीति में बदलाव करने और जनवादी संघर्षों को मजबूत करने की रणनीति तैयार करेंगे।

Hindi News / Hanumangarh / माकपा के राज्य सम्मेलन में बोले वक्ता, जिन्होंने आंवले का मुरब्बा नहीं देखा, हमारे संघर्ष ने उनको मुरब्बा जमीनें दिलाई

ट्रेंडिंग वीडियो