क्या Cancer वंशानुगत हो सकता है? जानें इसके जोखिम और कारण
Cancer and family genetics: कैसे आनुवंशिक कारक कैंसर के जोखिम को प्रभावित कर सकते हैं। क्या कैंसर वंशानुगत हो सकता है। जानिए इसके विकास में जीन म्यूटेशन और परिवारिक इतिहास का क्या प्रभाव पड़ता है।
Cancer and family genetics: Can cancer be hereditary
Cancer and family genetics: कैंसर को समझना आज भी मेडिकल विज्ञान के लिए एक चुनौती है। यह एक गंभीर और जटिल बीमारी है। बताया जाता है कि कैंसर के विकास में जेनेटिक और आनुवंशिक बदलावों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अगर आपके परिवार में Cancer (Cancer and family genetics) का इतिहास है, तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि क्या यह बीमारी वंशानुगत हो सकती है। ऐसे में आज हम जानेंगे की क्या कैंसर वंशानुगत (hereditary) हो सकता है। साथ ही कैसे आनुवंशिक कारण कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
क्या है कैंसर और आनुवंशिकी का कनेक्शन : Cancer and family genetics
आनुवंशिक कारणों के प्रभाव का मतलब यह है कि कुछ जीन में जन्मजात परिवर्तन हो सकते हैं, जो इस असामान्य वृद्धि को बढ़ावा देते हैं। यदि किसी व्यक्ति के परिवार में पहले से Cancer (Cancer and family genetics) का इतिहास रहा है, तो उस व्यक्ति में कैंसर विकसित होने का खतरा अधिक हो सकता है।
आमतौर पर, शरीर में किसी भी कोशिका के असामान्य विभाजन या वृद्धि को रोकने के लिए कई सुरक्षा तंत्र होते हैं। कैंसर (cancer) तब होता है जब शरीर की कोशिकाएँ असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं। जब सुरक्षा तंत्रों में किसी कारणवश खराबी आ जाती है, तो कोशिकाएँ नियंत्रण से बाहर होकर कैंसर का रूप ले लेती हैं।
वंशानुगत कैंसर के कारण : Causes of hereditary cancer
जीन में म्यूटेशन: कुछ जीन, जैसे BRCA1 और BRCA2, कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। इन जीनों में म्यूटेशन होने से ब्रेस्ट कैंसर और ओवरी कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। अगर ये म्यूटेशन परिवार में वंशानुगत होते हैं, तो अगली पीढ़ी में भी इनका असर हो सकता है।
परिवारिक इतिहास: अगर किसी व्यक्ति के करीबी रिश्तेदार (जैसे माता-पिता, भाई-बहन) को कैंसर हुआ हो, तो वह व्यक्ति भी उच्च जोखिम में होता है। कुछ कैंसर प्रकारों में इस तरह के पारिवारिक पैटर्न दिखते हैं, जैसे पेट, मलाशय, और फेफड़ों का कैंसर।
वंशानुगत सिंड्रोम: कुछ दुर्लभ वंशानुगत सिंड्रोम, जैसे Lynch Syndrome और Familial Adenomatous Polyposis, कैंसर के उच्च जोखिम से जुड़े होते हैं। ये सिंड्रोम जीन में म्यूटेशन के कारण होते हैं और इससे संबंधित कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
क्या कैंसर से बढ़ सकता है वंशानुगत जोखिम : Can hereditary risk of cancer increase?
वंशानुगत कैंसर(Cancer) का मतलब यह नहीं है कि हर व्यक्ति, जिसे इस प्रकार के आनुवंशिक बदलाव मिलते हैं, उसे कैंसर होगा। लेकिन इसका यह मतलब है कि वह व्यक्ति उस विशेष प्रकार के कैंसर के लिए अधिक संवेदनशील होता है।
कुछ मुख्य संकेत जो यह बताने में मदद कर सकते हैं कि किसी परिवार में कैंसर का वंशानुगत जोखिम है
यदि कैंसर का इतिहास एक से अधिक पीढ़ियों में देखा गया है।
यदि कैंसर किसी विशेष प्रकार से जुड़ा हुआ है (जैसे स्तन या ओवरी कैंसर)।
यदि कैंसर का विकास अपेक्षाकृत कम उम्र में हुआ हो।
कैंसर का वंशानुगत जोखिम कैसे कम करें : How to reduce the hereditary risk of cancer?
जेनेटिक परीक्षण: यदि आपके परिवार में Cancer का इतिहास है, तो आप जेनेटिक परीक्षण करवा सकते हैं। यह परीक्षण यह पता लगाने में मदद करेगा कि क्या आपके जेनेटिक में कोई म्यूटेशन है, जो कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है।
स्वस्थ जीवनशैली: स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और धूम्रपान से बचाव कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं। यदि आपके परिवार में कैंसर का इतिहास है, तो यह कदम और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
नियमित स्क्रीनिंग: वंशानुगत कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए नियमित स्क्रीनिंग और जांच कराना बेहद जरूरी है। उदाहरण के लिए, स्तन कैंसर की जांच (ममोग्राफी), सर्वाइकल कैंसर के लिए पैप स्मीयर, और कोलोन कैंसर के लिए कोलोनोस्कोपी।
रिस्क-रिडक्शन सर्जरी: अगर किसी व्यक्ति को उच्च जोखिम है, तो कुछ मामलों में डॉक्टर जोखिम कम करने के लिए सर्जरी की सलाह भी दे सकते हैं, जैसे स्तन या ओवरी की सर्जरी। कैंसर वंशानुगत हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यदि आपके परिवार में किसी को कैंसर हुआ है, तो आपको भी होगा। जीन में म्यूटेशन और पारिवारिक इतिहास कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, लेकिन स्वस्थ जीवनशैली और नियमित जांच से आप इस जोखिम को कम कर सकते हैं।
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डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।