समय समय पर जरूरी है कैंसर स्क्रीनिंग
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, समय पर जांच से न केवल मरीज की जान बचाई जा सकती है बल्कि इलाज में आने वाला खर्च भी बहुत हद तक कम हो जाता है। इसके लिए व्यक्ति को समय समय पर कैंसर स्क्रीनिंग करवानी चाहिए। कैंसर स्क्रीनिंग का मतलब स्वस्थ व्यक्ति की जांच करना है जिससे शुरुआती लक्षणों से ही कैंसर का पता चल सके। जल्दी ट्यूमर की पहचान होने पर उसे आसानी से निकाला जा सकता है क्योंकि वह आकार में छोटा होता है। ऐसा होने पर कम साइड इफेक्ट वाले इलाज की मदद से भी मरीज की जान बचाई जा सकती है। इसलिए समय पह कैंसर की स्क्रीनिंग करानी जरूरी है। एम्स जोधपुर के विभागाध्यक्ष सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग डॉ. जीवन राम विश्नोई ने यह पांच स्क्रीनिंग बताई है जो सभी लोगों को समय समय पर करानी चाहिए।
ब्रेस्ट कैंसर की स्क्रीनिंग
विशेषज्ञों के अनुसार, 25 से 40 वर्ष की महिलाओं को हर महीने एक बार अपने स्तनों की स्वयं जांच कर लेनी चाहिए और हर 1 से 3 साल में क्लिनिक पर जाके निर्धारित जांच करवानी चाहिए। इसमें 40 से 47 साल की महिलाओं को हर एक दो साल में मेमोग्राफी करवानी चाहिए। परिवार में कैंसर की हिस्ट्री या BRCA जीन म्यूटेशन होने की स्थिति में जल्द से जल्द यह जांच कराए।
सर्वाइकल कैंसर की जांच
21 से 29 साल के व्यक्ति को हर तीन साल में पैप स्मीयर नामक जांच करवानी चाहिए। इसी तरह 30 से 65 साल के व्यक्ति को हर 5 साल में पैप एवं एचपीवी की जांच करानी चाहिए। जिन व्यक्तियों की इम्युनिटी कमजोर है उन्हें डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
कोलन कैंसर की जांच
45 से 75 साल की उम्र के लोगों को हर 10 साल में कोलोनोस्कोपी टेस्ट कराना चाहिए। इसके अलावा हर साल स्टूल जांच, सिग्मॉयडोस्कोपी या फिर हर पांच साल में सीटी कोलोनोग्राफी करवानी चाहिए। अगर परिवार में पहले किसी को आंत का कैंसर हुआ हो तो जल्द से जल्द यह जांच करानी चाहिए।
फेफड़ों के कैंसर की जांच
50 से 80 साल के वह व्यक्ति जो 20 साल से अधिक समय से नियमित धूम्रपान कर रहे है और एक दिन में 1 पैकेट/20 सिगरेट पीने का उनका इतिहास रहा हो और वर्तमान में भी धूम्रपान कर रहे हो उन्हें हर साल लो-डोज सीटी स्कैन करवाना चाहिए।
मुंह के कैंसर की जांच
तंबाकू खाने वाले और बीड़ी-सिगरेट या शराब के नशे करने वाले 30 वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों को हर साल डॉक्टर या डेंटिस्ट से मुंह की जांच करवानी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि एचपीवी वायरस के कारण होने वाले मुंह के कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।