क्या हैं टेलोमेयर? What are telomeres?
टेलोमेयर गुणसूत्रों (क्रोमोसोम) के सिरे पर मौजूद छोटे सुरक्षात्मक आवरण होते हैं। ये कोशिकाओं की उम्र बढ़ने और कैंसर रोकने (Cancer Treatment) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उम्र के साथ टेलोमेयर छोटे होते जाते हैं, जिससे कोशिकाओं को विभाजन रोकने का संकेत मिलता है। यह एक प्राकृतिक सुरक्षा तंत्र है, जो कैंसर को फैलने से रोक सकता है।नए शोध की प्रमुख खोज DNA Cancer Treatment
नए शोध की खोज सिडनी स्थित चिल्ड्रन मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (CMRI) के वैज्ञानिकों ने इस विषय पर गहन अध्ययन किया। इस शोध का नेतृत्व टोनी सेसारे और उनकी टीम ने किया, जिन्होंने पाया कि टेलोमेयर निष्क्रिय रूप से केवल छोटे नहीं होते, बल्कि वे सक्रिय रूप से कोशिकाओं की सुरक्षा भी करते हैं। टोनी सेसारे के अनुसार, “हमारे डेटा से पता चलता है कि टेलोमेयर केवल उम्र बढ़ने से जुड़े नहीं हैं, बल्कि वे तनाव और क्षति पर प्रतिक्रिया देकर कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने का काम भी कर सकते हैं।”
कैसे करते हैं टेलोमेयर कैंसर से बचाव? How do telomeres prevent cancer?
कोशिका विभाजन को नियंत्रित करना – जब टेलोमेयर बहुत छोटे हो जाते हैं, तो वे कोशिकाओं को विभाजन रोकने का संकेत देते हैं, जिससे अनियंत्रित कोशिका वृद्धि को रोका जा सकता है। क्षतिग्रस्त कोशिकाओं का नाश – यदि किसी कोशिका में गंभीर गुणसूत्रीय क्षति होती है, तो टेलोमेयर उसे आत्म-नाश (self-destruction) के लिए प्रेरित कर सकते हैं। त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली – वैज्ञानिकों ने पाया कि टेलोमेयर तनाव पर तेजी से प्रतिक्रिया कर सकते हैं और कोशिकाओं को उम्र बढ़ने जैसी प्रतिक्रियाएं दिखाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। यह प्रक्रिया कैंसर से बचाव में सहायक हो सकती है।
Cancer Treatment : भविष्य की संभावनाएं
टोनी सेसारे के अनुसार, इस नई खोज से कैंसर उपचार की नई रणनीतियां विकसित हो सकती हैं। यदि वैज्ञानिक टेलोमेयर को लक्षित कर कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने का तरीका खोज लेते हैं, तो यह कैंसर के लिए एक प्रभावी और नया उपचार विकल्प बन सकता है।कैंसर के बढ़ते मामले Rising cases of cancer
कैंसर के बढ़ते मामले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2022 में लगभग 2 करोड़ नए कैंसर मामलों की पहचान हुई और 97 लाख लोगों की मृत्यु इस बीमारी से हुई। हर 5 में से 1 व्यक्ति को जीवनकाल में कैंसर होने की संभावना रहती है। यह शोध टेलोमेयर की भूमिका को समझने में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल कैंसर रोकथाम में मदद मिल सकती है, बल्कि नए उपचारों के विकास की भी संभावना बढ़ सकती है। वैज्ञानिकों की यह खोज भविष्य में कैंसर से लड़ने में एक बड़ी क्रांति ला सकती है।
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भारत में पहली CAR-T सेल थेरेपी के ट्रायल में बड़ी सफलता
हाल ही में भारत में हुई पहली CAR-T सेल थेरेपी के क्लिनिकल ट्रायल के नतीजे “द लांसेट“ में प्रकाशित किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, यह थेरेपी भारतीय मरीजों पर 73% तक सफल रही है, जो कैंसर के इलाज में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।क्या है CAR-T सेल थेरेपी?
CAR-T (Chimeric Antigen Receptor T-Cell) थेरेपी एक उन्नत इम्यूनोथेरेपी तकनीक है, जिसमें मरीज के टी-सेल्स को लैब में जेनेटिक रूप से मॉडिफाई किया जाता है, ताकि वे कैंसर कोशिकाओं को पहचानकर उन्हें खत्म कर सकें। क्यों है यह थेरेपी खास?
यह उन मरीजों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है, जिनका कैंसर पारंपरिक इलाज से ठीक नहीं हो रहा था।
विशेष रूप से रक्त कैंसर, जैसे एक्यूट लिंफोब्लास्टिक ल्यूकेमिया और बड़े बी-सेल लिंफोमा के इलाज में कारगर है।
भारत में इस तकनीक की सफलता कैंसर के मरीजों के लिए नई उम्मीद लेकर आई है।
यह उन मरीजों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है, जिनका कैंसर पारंपरिक इलाज से ठीक नहीं हो रहा था।
विशेष रूप से रक्त कैंसर, जैसे एक्यूट लिंफोब्लास्टिक ल्यूकेमिया और बड़े बी-सेल लिंफोमा के इलाज में कारगर है।
भारत में इस तकनीक की सफलता कैंसर के मरीजों के लिए नई उम्मीद लेकर आई है।
यह शोध भारत में कैंसर के आधुनिक इलाज की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है और आने वाले समय में यह और भी ज्यादा मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकता है।