World Longest Hairball Removed : छठी कक्षा में शुरू हुई थी अजीब आदत
किशोरी, जो एक किसान परिवार से है और वर्तमान में 10वीं कक्षा की छात्रा है, पिछले कई वर्षों से मिट्टी, लकड़ी के टुकड़े, चॉक और धागा खाने की आदत से पीड़ित थी। यह आदत उसने छठी कक्षा में अन्य बच्चों को देखकर शुरू की थी, जो धीरे-धीरे गंभीर रूप लेती गई। यह भी पढ़ें :
Daily Bad Habits Cause Liver Cancer : लीवर कैंसर से बचना है? तो आज ही छोड़ से इन 5 चीज़ों को पेट में ट्राइकोबेज़ोआर (बालों की गेंद) क्यों बनती है?
ट्राइकोबेज़ोआर एक प्रकार की “बेज़ोआर” (गांठ या ठोस पिंड) होती है, जो बालों से बनी होती है। यह पेट के अंदर धीरे-धीरे जमती है जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक बाल खाता है।
इसका कारण क्या होता है?
ट्राइकोबेज़ोआर आमतौर पर एक मानसिक विकार “ट्राइकोफैगिया (Trichophagia)” और “पिका (Pica)” के कारण होता है: ट्राइकोफैगिया: इसमें व्यक्ति अपने या किसी के भी बाल चबाने या निगलने की आदत पाल लेता है। पिका: यह एक मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति गैर-खाद्य चीज़ें जैसे मिट्टी, चॉक, धागा, लकड़ी, या बाल खाने लगता है।
बाल पचते क्यों नहीं हैं?
पेट में पाचन रस (Digestive enzymes) होते हैं, जो सामान्य भोजन को तोड़ते हैं।
लेकिन बालों में केराटिन नामक एक कठोर प्रोटीन होता है, जो पाचन में नहीं टूटता। इसलिए ये पेट में जमा होने लगते हैं। वे पेट में एक जगह जमा होते हैं। धीरे-धीरे वे आपस में उलझते हैं और एक गेंद जैसी ठोस गांठ बनाते हैं। समय के साथ ये गांठ बड़ी होती जाती है और आंतों तक पहुंच सकती है।
इसके लक्षण क्या हो सकते हैं?
लगातार पेट दर्द उल्टी भूख न लगना वजन कम होना पेट में गांठ महसूस होना कब्ज या गैस की समस्या इलाज क्या है?
छोटे ट्राइकोबेज़ोआर एंडोस्कोपी से निकाले जा सकते हैं बड़े आकार के मामलों में सर्जरी (Gastrostomy / Laparotomy) करनी पड़ती है साथ ही मनोचिकित्सकीय इलाज और काउंसलिंग भी ज़रूरी होती है
मानसिक स्थिति ‘पिका’ है कारण
ऑपरेशन करने वाले सीनियर सर्जन डॉ. जीवन कांकरिया के अनुसार, यह मामला ‘पिका’ (Pica) नामक मानसिक स्वास्थ्य विकार से जुड़ा है। इस विकार में व्यक्ति गैर-खाद्य वस्तुएं खाने लगता है। किशोरी को एक महीने से पेट दर्द और उल्टी की शिकायत थी, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती किया गया।
सीटी स्कैन से मिला संकेत, सर्जरी से मिला समाधान
पेट की जांच में गांठ महसूस होने के बाद कंट्रास्ट एन्हांस्ड सीटी स्कैन (CECT) किया गया, जिसमें पता चला कि पेट असामान्य रूप से फूला हुआ है और उसमें कुछ कठोर चीज़ है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टरों ने तुरंत लैपरोटॉमी सर्जरी का निर्णय लिया। करीब दो घंटे चले इस ऑपरेशन में खास बात यह रही कि किसी भी तरह के रक्त चढ़ाने की आवश्यकता नहीं पड़ी।
बालों की गांठ छोटी आंत तक फैली थी
सर्जरी के दौरान डॉक्टर उस समय हैरान रह गए जब यह देखा गया कि ट्राइकोबेज़ोआर केवल पेट में नहीं, बल्कि छोटी आंत तक फैला हुआ है। इसे एक ही टुकड़े में बाहर निकालना बहुत बड़ी चुनौती थी क्योंकि अगर यह टूट जाता, तो आंत में कई चीरे लगाने पड़ सकते थे। यह भी पढ़ें :
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इस जटिल सर्जरी को डॉ. जीवन कांकरिया के नेतृत्व में डॉ. राजेन्द्र बुगालिया, डॉ. देवेंद्र सैनी, डॉ. अमित और डॉ. सुनील चौहान की एनेस्थीसिया टीम ने मिलकर सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
बच्ची अब स्वस्थ, परामर्श जारी
सर्जरी के बाद मरीज की हालत स्थिर है और वह तेजी से स्वस्थ हो रही है। साथ ही उसे मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा काउंसलिंग और परामर्श दिया जा रहा है ताकि भविष्य में यह आदत दोबारा न हो। यह केस न सिर्फ एक चिकित्सकीय उपलब्धि है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना कितना जरूरी है। यदि समय रहते ध्यान दिया जाए, तो बड़ी जटिलताओं से बचा जा सकता है।