राजस्थान की भजनलाल सरकार ने गहलोत राज में बनाए 9 जिलों और 3 संभागों पाली, सीकर, बांसवाड़ा को खत्म कर दिया था। इसके तहत सांचौर जिला भी निरस्त किया गया था। सांचौर जिला निरस्त करने पर कई प्रवासी विरोध में उतर आए हैं। प्रवासियों ने अब पोस्टकार्ड अभियान शुरू किया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री को पोस्टकार्ड भेजे जा रहे हैं। जिसमें सांचौर जिले को यथावत बनाए रखने की मांग की गई है।
पिछले दिनों राजस्थान में भाजपा सरकार ने सांचौर को जिले का दर्जा निरस्त कर दिया था जिसके बाद सांचौर अब जालोर जिले का हिस्सा बन गया है। इससे पूर्व सांचौर जिला 7 अगस्त 2023 को अस्तित्व में आया था। सांचौर जिले में सांचौर, रानीवाड़ा, चितलवाना और बागोड़ा तहसीलें शामिल थीं। लेकिन16 महीने बाद सांचौर के जिले का दर्जा खत्म कर दिया गया था। सांचौर को जिले का दर्जा खत्म कर फिर से जालोर में शामिल करने पर प्रवासियों ने कड़ा विरोध जताया है।
राजस्थान के करावड़ी गांव के मूल निवासी एवं हुब्बल्ली प्रवासी सामाजिक कार्यकर्ता रामलाल सारण विश्नोई ने बताया कि सांचौर जिले को निरस्त करना किसी भी दृष्टि से जायज नहीं है। सांचौर जिले को यथावत बनाए रखने की मांग को लेकर प्रवासियों ने पोस्टकार्ड अभियान शुरू किया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखे जा रहे हैं। हुब्बल्ली से पोस्टकार्ड अभियान की शुरुआत की गई है। अब कर्नाटक के अन्य जिलों से भी राजस्थान के मुख्यमंत्री को पत्र भेजे जाएंगे।
सारण ने बताया कि अगले एक महीने तक पोस्टकार्ड अभियान भेजने का सिलसिला जारी रहेगा। कर्नाटक के हर जिले में रहने वाले प्रवासियों की ओर से मुख्यमंत्री को पोस्टकार्ड भेजकर उनसे सांचौर को जिला बनाए रखने की मांग की जाएगी। आने वाले दिनों में प्रवासियों का एक प्रतिनिधिमंडल राजस्थान जाकर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से भी मुलाकात करेगा और उनसे सांचौर को जिले का दर्जा फिर से देने की मांग की जाएगी। सांचौर को जिला बनाना क्षेत्र की वर्षों पुरानी मांग थी और इसे खत्म करना गलत है।
इस अवसर पर देवीलाल डारा रणोदर, श्रीराम जाणी झाब, रतनाराम गोदारा कोटड़ा, जगदीश भादू संगड़वा, ओमप्रकाश भांभू, चेतन पवार करावड़ी, मालाराम डारा नयावास, भागीरथ साहू नयावास, चंदनराम जाणी हेलीबाव, मालाराम कावा विरावा, अश्विन भादू चितलवाना, लादूराम साहू हेमागुड़ा समेत अन्य प्रवासियों ने भी राजस्थान के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सांचौर को जिला बनाए रखने की मांग की है। प्रवासियों का कहना है कि सांचौर जालोर से काफी दूर है और इसे जिला बनाए रखना जरूरी था। सांचौर की जालोर से दूरी 150 किलोमीटर है। सांचौर का अंतिम गांव जिला मुख्यालय से लगभग 225 से 230 किलोमीटर दूर है। ऐसे में सांचौर जिला खत्म करना ग्रामीणों के लिए प्रशासनिक कार्यों को मुश्किल बनाता है। सांचौर हर तरह के मापदंड पर भी जिला बनने की सभी योग्यताएं पूरी करता हैं। ऐसे में सांचौर को जिला निरस्त करना किसी भी दृष्टि से सही नहीं है।