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पोहा-जलेबी, कचौरी-समोसा बेचने वालों के लिए बड़ी खबर, फूड सेफ्टी लाइसेंस रखना जरूरी, वरना होगी कार्रवाई

Big News: मध्य प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल मिलावट को लेकर सख्त, किया निरीक्षण, पोहा-जलेबी, समोसा-कचोरी बेचने वाले दुकानदारों, वेंडर्स को लेकर कही बड़ी बात…

इंदौरJan 05, 2025 / 07:43 am

Sanjana Kumar

Big news
Big News: शहर में पोहा-जलेबी, समोसा-कचोरी या अन्य किसी भी खाद्य पदार्थ की बिक्री करने वाले दुकानदारों, वेंडर्स को लेकर बड़ी खबर आई है। अब इन दुकानदारों और वेंडर्स को फूड सेफ्टी लाइसेंस लेना आवश्यक और अनिवार्य है। खाद्य विभाग जांच के बाद कार्रवाई करेगा। यह बात मध्य प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने शुक्रवार को खाद्य विभाग कार्यालय के निरीक्षण के दौरान कही। उन्होंने कहा, सरकार ने खाद्य पदार्थों में होने वाली मिलावट रोकने और स्वास्थ्य मानकों को बेहतर बनाने के लिए यह निर्णय लिया है।
निरीक्षण के दौरान मंत्री से व्यवस्थित ऑफिस भवन की मांग भी सभी कर्मचारियों ने की। 1998 से इस जर्जर भवन में खाद्य विभाग के ऑफिस का संचालन किया जा रहा है। फूड सेफ्टी विभाग की एक लैब शहर में बन रही है। जहां इसे शिफ्ट करने की योजना थी लेकिन, वह भी अभी तक उद्घाटन का इंतजार कर रहा है। फिलहाल ऑफिस कहीं ओर शिफ्ट किए जाने या आधुनिकीकरण का आश्वासन भी मंत्री ने दिया है।
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रो दी महिला कर्मचारी

मंत्री को ऑफिस की दुर्दशा संबंधित जानकारी देने के दौरान एक महिला कर्मचारी रोने लगी। महिला कर्मचारी नंदा पंवार ने कहा, इस ऑफिस की हालत जर्जर है। सालों से सुविधाओं के अभाव में सभी काम कर रहे हैं। जब्त की गई मिलावटी खाद्य सामग्री सालों पड़े रहने से खराब होती है। दुर्गंध के बीच ही काम करते हैं। यहां सांप, अजगर, बिच्छू निकल चुके हैं।

पूरा ऑफिस जर्जर


पुराने खप्पर वाले भवन में पिछले 26 साल से ऑफिस का संचालन किया जा रहा है। यहां रखे घी और अन्य खाद्य पदार्थ भी सड़ने की स्थिति में आ चुके हैं। कई सामग्री चूहों ने नष्ट कर दी है। दीवारें जर्जर हो चुकी हैं।

नागरिकों को मिले शुद्ध खाद्य सामग्री

मंत्री ने कहा कि बड़े व्यापारियों के साथ ही छोटे व्यापारियों को भी जागरूक कर रहे हैं, ताकि शुद्धता बनी रहे। कोई गलत काम करता है तो कार्रवाई होती है। मिलावट के खिलाफ विभाग कार्रवाई करता है।

161 मामले, 95 लाख का लगाया जुर्माना


खाद्य पदार्थों में मिलावट, अवमानक या मिथ्या छाप पाए जाने की पुष्टि के बाद एडीएम कोर्ट में एक साल में 181 प्रकरण दायर किए गए। इसमें 1 करोड़ 74 लाख 90 हजार रुपए का जुर्माना पारित किया गया। साल 2024 में कोर्ट में 161 मामलों में संस्थानों ने 94 लाख 83 हजार 500 रुपए का जुर्माना जमा कराया हैष यर राशि पिछले 5 साल में सबसे ज्यादा रही। एडीएम गौरव बेनल ने बताया कि खाद्य विभाग की कार्रवाई के बाद सैंपल भोपाल स्थित खाद्य विभाग की लैब में जांच के लिए पहुंचते हैं। वहां से रिपोर्ट के बाद कार्रवाई होती है।

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