विशेषज्ञ बताते हैं कि शहर में मेट्रो लाने की शुरुआती चर्चा वर्ष 2011 के आसपास हुई थी। 2016 में मेट्रो ट्रेन के पहले चरण के लिए काम घोषित हुआ, लेकिन हो नहीं पाया। दस्तावेजों में दर्ज है कि इंदौर की यलो लाइन मेट्रो की आधारशिला 9 सितंबर 2019 को रखी गई। कोराना काल में काम धीमा चला, लेकिन 2021-22 से रफ्तार पकड़ी और मुख्य सड़क पर एलिवेटेड कॉरिडोर नजर आया।
2023 में ट्रायल रन
इंदौर में करीब 31.32 किमी की मेट्रो की रिंग बनना है। इसमें 22.62 किमी एलिवेटेड और 8.7 किमी अंडर ग्राउंड ट्रैक रहेगा। कुल 28 स्टेशन बनना प्रस्तावित है। अभी गांधी नगर से करीब 5.8 किमी के हिस्से में मेट्रो का संचालन होगा, जिसमें पांच स्टेशन आते हैं। 30 सितंबर 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने गांधी नगर स्टेशन से सुपर कॉरिडोर स्टेशन 3 तक मेट्रो में सवार होकर ट्रायल रन किया था। तब टारगेट था कि जून 2024 में कमर्शियल रन होगा और दिसंबर 2024 में रेडिसन चौराहे तक ट्रेन चलेगी। इसमें देरी हो गई।
हर 30 मिनट में मिलेगी मेट्रो
पहले सप्ताह में मेट्रो का संचालन नि:शुल्क रहेगा। ट्रेन का शेड्यूल सुबह 8 से रात 8 तक रहेगा। मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन का दावा है कि हर 30 मिनट में मेट्रो ट्रेन उपलब्ध रहेगी। न्यूनतम किराया 20 तो अधिकतम 30 रुपए रखा गया है। शुरुआत में 10 कोच चलाने की योजना है।
एआइ तकनीक वाले हैं कोच
सरकार ने इंदौर मेट्रो में 3 डिब्बों के 75 कोच चलाने का फैसला किया है। अब तक 14 कोच आए हैं। पहला कोच 31 अगस्त 2023 को वडोदरा की कंपनी से सड़क मार्ग से लाया गया था। कोच एआइ तकनीक से लैस हैं। दावा है कि कोच या ट्रैक पर आपत्तिजनक वस्तु रखी होगी तो कैमरे अलर्ट कर देंगे। ट्रैक पर व्यवधान रहा तो एआइ तकनीक खुद ब्रेक लगा देगी। ऊर्जा संरक्षण भी ऑटोमेटिक मोड पर है। ट्रेन बिना पायलट भी चल सकती है, लेकिन शुरुआती दौर में पायलट ही इसका संचालन करेंगे।
7 लांचर लगाकर किया था काम तेज
वर्ष 2022 तक मेट्रो कॉरिडोर का ज्यादा काम नहीं हुआ था। गांधी नगर डिपो बनाने में प्लानिंग बदली और 40 मकानों को बचाकर डिपो का काम शुरू किया। गांधी नगर से टीसीएस चौराहे तक पीलर बनानेे का काम नहीं हुआ था। इसके लिए योजना बनाई गई। आइडीए से संपर्क कर जमीनों का मामला क्लियर किया। जब सेगमेंट लॉन्च करने की बात आई तो एक साथ 7 लांचर लगाए गए। इससे काम में तेजी आई। इसमें करीब 650 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। केएस चौहान (मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के पहले जीएम)
पहले क्रॉस रूट तय था, काम तीसरे का हुआ
वर्ष 2011-12 में मेट्रो का क्रॉस रूट तय हुआ था। एक रूट में देवास नाका से पाटनीपुरा चौराहा होते हुए रेलवे स्टेशन और वहां से फूटी कोठी के बीच मेट्रो चलाने की बात थी। क्रॉस रूट में एयरपोर्ट से एमजी रोड होते हुए बंगाली कॉलोनी चौराहे तक मेट्रो चलनी थी। बाद में तीसरा रूट तय कर काम शुरू कर दिया। इस रूट में मेट्रो को अभी ज्यादा यात्री नहीं मिलेंगे, लेकिन इंदौर को बड़ी सौगात मिल जाएगी। मेट्रो रूट की रिंग बनेगी, तब इसका सही और ज्यादा इस्तेमाल हो पाएगा। इसमें करीब 5 साल लग सकते हैं। सौगात का इंतजार करना होगा। अतुल सेठ, आर्किटेक्ट
मेट्रो ट्रेन की बिजली व्यवस्था का लिया जायजा
इंदौर. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध निदेशक अनूप कुमार सिंह ने शुक्रवार दोपहर मेट्रो ट्रेन के सुपर कॉरिडोर स्थित स्काडा कंट्रोल सेंटर का दौरा किया। उन्होंने यार्ड एवं थर्ड रेल संबंधी जानकारी ली। इसके बाद उज्जैन रोड स्थित जैतपुरा के 220 केवी अति उच्च दाब सब स्टेशन पहुंचे और यहां से सुपर कॉरिडोर तक मेट्रो के लिए स्थापित की गई 33 केवी पैंथर लाइन से बिजली सप्लाय व्यवस्था देखी।
जानें, कैसे हैं इंतजाम
● एक कोच में 50 लोगों के बैठने और 300 लोगों के खड़े होने की व्यवस्था है। एक ट्रेन की यात्री क्षमता 980 है। ● सभी कोच में एलईडी लाइट लगी है, जो रोशनी के हिसाब से एडजस्ट होगी। ● प्रत्येक कोच की लंबाई 22 तो चौड़ाई 2.9 मीटर है। ● एक कोच में 8 (4-4 दोनों साइड) ऑटोमेटिक गेट हैं। कांच की खिड़कियां हैं। ग्रैब हैंडल, डिजिटल रूट मैप आदि हैं।
टिकट ऐसे लें
मेट्रो स्टेशन पर टिकट खिड़कियां बनाई गई हैं। बाद में डिजिटल प्लेटफॉर्म से टिकट वितरण की संभावना है। ऐप आदि डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च किए जाएंगे। टिकट क्यूआर कोड आधारित रहेंगे। गेट पर स्वचलित किराया संग्रह (एएफसी) प्रणाली रहेगी। क्यूआर कोड स्कैन करने के बाद ही स्टेशन में प्रवेश मिलेगा। दो चरण में यात्रियों की चेकिंग होगी, फिर वे ट्रेन में प्रवेश कर पाएंगे।