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इंदौर में शिवराज सिंह चौहान ने कहा- ‘खेती के फैसले अब खेत में होंगे, दिल्ली में नहीं’

Shivraj Singh Chouhan: खेती अब कागजों में नहीं, जमीन पर किसानों से बातचीत के आधार पर चलेगी। कृषि नीतियों के फैसले अब मंत्रालय के कमरों में नहीं, खेतों की मिट्टी में लिए जाएंगे। यह संदेश शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को इंदौर में दिया।

इंदौरJun 27, 2025 / 09:19 am

Avantika Pandey

Shivraj Singh Chouhan

Shivraj Singh Chouhan (फोटो सोर्स: @ChouhanShivraj)

Shivraj Singh Chouhan: खेती अब कागजों में नहीं, जमीन पर किसानों से बातचीत के आधार पर चलेगी। कृषि नीतियों के फैसले अब मंत्रालय के कमरों में नहीं, खेतों की मिट्टी में लिए जाएंगे। यह संदेश केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को इंदौर स्थित भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान में हुई बैठक में दिया। यहां देशभर से आए वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों, किसानों और अधिकारियों के बीच उनका अलग ही अंदाज नजर आया। खेत में ट्रैक्टर चलाकर उन्होंने न केवल वैज्ञानिकों को व्यावहारिक ज्ञान की अहमियत समझाई, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि वे नकली नहीं, असली किसान हैं।
बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में चौहान(Shivraj Singh Chouhan) ने कहा, अब कृषि शोध और नीति निर्माण की प्रक्रिया बदलने जा रही है। शोध के विषय अब दिल्ली में नहीं, खेत में किसानों से चर्चा कर तय होंगे। किसान जो अनुभव और सुझाव देंगे, वही वैज्ञानिकों और नीतिकारों की दिशा तय करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने चौथी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनकर विकास की दिशा में बड़ी छलांग लगाई है। अब समय है कि विकसित भारत के लिए विकसित कृषि और समृद्ध किसान की दिशा में भी उतनी ही गंभीरता से काम हो।
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लैब-टू-लैंड का मॉडल

मंत्री चौहान ने बताया कि हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा चलाए गए विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत देशभर में 2170 वैज्ञानिक टीमें बनाई गईं, जिन्होंने 1.23 लाख गांवों में जाकर 1.35 करोड़ किसानों से सीधा संवाद किया। इस अभियान में किसानों ने कई अहम मुद्दों की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि खेतों में अब मजदूरों की कमी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। ऐसे में खेती को ‘मैकेनाइजेशन’ यानी मशीनों के उपयोग की दिशा में ले जाना होगा।

एक राष्ट्र, एक कृषि, एक टीम

चौहान ने कहा कि इसके बाद कोयंबटूर में कपास पर, मेरठ में गन्ने पर और कानपुर में दलहन पर इसी तरह के संवाद होंगे। हमारी योजना है कि हर फसल, हर क्षेत्र और हर किसान की समस्या सुनी जाए व उसका वैज्ञानिक समाधान तैयार हो। उन्होंने इसे ‘एक राष्ट्र, एक कृषि, एक टीम’ का मंत्र बताया और कहा कि अब देशभर की कृषि व्यवस्था को एक साथ, संगठित रूप से आगे बढ़ाना है।

सोयाबीन उत्पादकता को आत्मनिर्भरता से जोड़ेंगे

अनुसंधान केंद्र पर अन्य राज्यों से आए वैज्ञानिकों, अधिकारियों के साथ हुई विशेष बैठक में चौहान ने कहा कि सोयाबीन देश के लिए प्रोटीन का एक बड़ा स्रोत है और इसका तेल भारत की बड़ी आवश्यकता। भारत को सोयाबीन तेल के लिए विदेशों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, यह कहते हुए उन्होंने उच्च गुणवत्ता वाले बीज, जीनोम एडिटिंग तकनीक, बीज उपचार और रोग प्रतिरोधक किस्मों के विकास की आवश्यकता बताई। उन्होंने बताया कि ‘यलो मोजैक वायरस’ जैसे रोग फसल को व्यापक नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसके समाधान के लिए वैज्ञानिकों को विशेष निर्देश दिए गए हैं कि वे ऐसी किस्में विकसित करें, जो इन रोगों से मुकाबला कर सकें।

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