Mahashivratri 2025: दीमक बांबी से बनाए जाएंगे 51 शिवलिंग
इस साल भी 26 फरवरी की सुबह 10 बजे से 51
पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा अर्चना के बाद रुद्राभिषेक किया जाएगा। इसके लिए हर साल की तरह इस साल भी आसना के जंगल से दीमक बांबी की मिट्टी लाकर 51 शिवलिंग बनाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि पार्थिव शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है और इससे विशिष्ट फल प्राप्ति होती है। पार्थिव शिवलिंग की पूजा में शामिल होने श्रद्धालु मंदिर के पुजारी से सम्पर्क कर सकते हैं। 9 साल से श्री भूतेश्वर महाकाल मंदिर में यह पूजा की जा रही है।
शिव पुराण में पार्थिव शिवलिंग पूजा का वर्णन
शिव पुराण में वर्णन है कि पार्थिव लिंग बनाकर शिव पूजन का विशेष पुण्य मिलता है।
शिवपुराण के मुताबिक कलयुग में कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप में पार्थिव पूजन शुरु किया था। इस पूजन से धन, धान्य, आरोग्य और पुत्र प्राप्ति होती है। मानसिक और शारीरिक परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है। पार्थिव पूजन से अकाल मृत्यु का डर खत्म हो जाता है। शिवजी की आराधाना के लिए पार्थिव पूजन महिला और पुरुष दोनों कर सकते हैं।
बांबियों को मानते हैं, भगवान शिव का घर
Mahashivratri 2025: ग्रामीण अंचल में दीमक के बांबियों को भगवान शिव का घर माना जाता है। ग्रामीण इन बांबियों की सुरक्षा कर नाग देवता को बचाते हैं। देवगुड़ी में जहां भी डेंगुर निकलता है, उसे बेहर पवित्र मानते हैं। इसलिए बांबियों की भी पूजा ग्रामीणों के द्वारा की जाती है।