छत्तीसगढ़ में आयोजित हुआ ‘मुत्यालम्मा कोलूपुलू’ जतरा, तेलंगाना और ओडिशा से बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु
Mutyalamma jathara: सैकड़ों वर्षों से चली आ रही आदिवासी आस्था और परंपरा का प्रतीक मुत्यालम्मा कोलूपुलू, जिसे शीतला माता जतारा के नाम से भी जाना जाता है, कोंटा में बड़े धूमधाम से मनाया गया।
Muthyalamma jatra: यह जातरा हर दो-तीन साल में एक बार होती है और कोंटा की ग्राम देवी मुत्यालम्मा (शीतला माता) की पूजा के रूप में आयोजित होती है।
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जतरा में छत्तीसगढ़, तेलंगाना और ओडिशा से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। पुरानी बस्ती स्थित माता मंदिर में भक्तों ने माता ठेका कर मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए पूजन किया।
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मान्यता है कि माता की शरण में जाने से दु:ख, कष्ट और बीमारियों से मुक्ति मिलती है। यह जातरा में माता अवतरण महिलाओं के द्वारा भक्तों को आशीर्वाद स्वरूप कोड़े बरसाया जाता हैं।
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Muthyalamma jatra: मान्यता हैं कि कोड़े बरसाने से शारीरिक मानसिक वेदनाओं से मुक्त हो जाते हैं। यह जातरा हर तीन साल में एक बार होता हैं, जिसके लिए भक्त इंतजार करते हैं।
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इस वर्ष भक्त मन्नत मांगते हैं। मन्नत पूरा होने के बाद गुड, साड़ी व चुड़ी बकरा, मुर्गा भेंट स्वरूप माता को चढ़ाया जाता हैं। इस तरह कई वर्षों से आदिवासी परंपरा जारी हैं।