उन्होंने कहा है कि प्रदेश में मकर संक्रांति पर्व पर पतंगबाजी के दौरान दोपहिया वाहन चालकों और पक्षियों को जान का खतरा बना रहता है। तेज धारदार, नायलॉन या किसी सिंथेटिक सामग्री से बने मांझों व उन पर लोहे और कांच के पाउडर की कोटिंग से आमजन व पशु-पक्षियों को हानि पहुंचने और कई बार जनहानि होने की भी संभावना होती है।
विभिन्न धातुओं के मिश्रण से बने मांझा बिजली तारों के संपर्क में आने पर विद्युत प्रवाह होने से पतंग उड़ाने वालों के लिए खतरनाक हो सकता है और बिजली सप्लाई में भी बाधा उत्पन्न हो सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए ऐसी सामग्री से निर्मित मांझों पर तत्काल प्रतिबंधात्मक रोक लगाने की कार्रवाई की जानी चाहिए।
एनजीटी के आदेशों की अनुपालना करें सुनिश्चित
उन्होंने सभी जिलों को निर्देश दिए हैं कि राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों की अनुपालना में नायलॉन या किसी सिंथेटिक सामग्री से बने और सिंथेटिक पदार्थ से लेपित चायनीज और गैर बायो डिग्रेडेबल मांझे या धागे पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने और प्रतिबंध की पूर्ण अनुपालना सुनिश्चित करें।
हेल्पलाइन नंबर जारी करने दिए निर्देश
डॉ. शर्मा ने घायल पक्षियों के बचाव के लिए विशेष प्रबंध करते हुए उनके इलाज के लिए सभी जिलों में मकर संक्रांति के अवसर पर पशुपालन विभाग, स्वयंसेवी संस्थाओं, पक्षी प्रेमियों के माध्यम से पक्षी चिकित्सा शिविर लगाने तथा हेल्पलाइन नंबर जारी करने के भी निर्देश दिए हैं।