उन्होंने आरोप लगाया कि नई सरकार बनने के बाद गवर्नेंस कमजोर हुआ है और कई महत्वपूर्ण काम रुके हुए हैं। इस दौरान अशोक गहलोत ने कहा कि हम चाहते हैं कि सत्ता पक्ष और विपक्ष मिलकर काम करें ताकि जनता को अधिक लाभ मिले। विपक्ष अपना धर्म पूरी तरह निभा रहा है, लेकिन सत्तापक्ष का रवैया लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप नहीं है।
डोटासरा मामले पर गहलोत का तंज
गहलोत ने कांग्रेस नेता गोविंद सिंह डोटासरा और 6 विधायकों के निष्कासन के मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिना विपक्ष के लोकतंत्र अधूरा है, लेकिन यहां विपक्ष की बात सुनी ही नहीं जा रही। गहलोत ने कहा कि डोटासरा को टारगेट बनाकर बहस करवाई गई, जिससे साफ होता है कि सरकार में अनुभव और मार्गदर्शन की कमी है। विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है, जो लोकतंत्र के लिए सही नहीं है। उन्होंने कहा कि बीते 1 साल में कांग्रेस ने कोई बड़ा प्रदर्शन नहीं किया, हमें जो भी बात सरकार तक पहुंची होती थी, वो मीडिया के माध्यम से पहुंचाई। लेकिन सरकार में बैठे लोग ये नहीं समझ पाए कि हम उनका हित ही चाह रहे थे। हम चाहते हैं सत्ता पक्ष और विपक्ष ऐसे काम करे, जिससे पब्लिक को सीधा लाभ मिल सके।
उन्होंने यह भी कहा कि हमारे कार्यकाल में भी निष्कासन हुए थे, लेकिन एक-दो दिन में वापस ले लिए गए थे। गहलोत ने कहा कि विपक्ष जनता की समस्याओं को उठाने का काम कर रहा है और सरकार को सही दिशा देने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि बीजेपी सरकार सही निर्णय लेकर जनता के हित में काम करेगी।