रक्त चढ़ाने की नहीं पड़ी जरूरत
ऑपरेशन करने वाले सर्जन डॉ.जीवन कांकरिया ने बताया कि यह एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या से जुड़ा मामला है, जिसे पिका कहते हैं। इसमें व्यक्ति खाने योग्य न होने वाली चीज़ें खाने लगता है। एक महीने से पेट दर्द और उल्टी की शिकायत के बाद जब उसे अस्पताल लाया गया, तो डॉक्टरों ने पेट की जांच में एक सख्त गांठ पाई। गांठ पेट से लेकर नाभि और दाएं ऊपरी पेट क्षेत्र तक फैली हुई थी। सीईसीटी (कंट्रास्ट एन्हांस्ड सीटी स्कैन) में यह पता चला कि पेट फूला हुआ है और उसके अंदर कुछ असामान्य वस्तु मौजूद है। इसके बाद डॉक्टरों ने तुरंत लैपरोटॉमी सर्जरी का निर्णय लिया। यह ऑपरेशन करीब 2 घंटे चला और खास बात यह रही कि इसमें रक्त चढ़ाने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ी। छोटी आंत तक फैला था
गैस्ट्रोटॉमी के दौरान डॉक्टर हैरान रह गए जब उन्होंने देखा कि ट्राइकोबेज़ोआर सिर्फ पेट तक सीमित नहीं था, बल्कि छोटी आंत तक फैला हुआ था। सर्जरी के दौरान इसे एक ही टुकड़े में बाहर निकालना एक बड़ी चुनौती थी। यह टूट जाता, तो इसे निकालने के लिए आंतों में कई चीरे लगाने पड़ सकते थे। सर्जरी में डॉ.कांकरिया की टीम में डॉ. राजेन्द्र बुगालिया, डॉ. देवेंद्र सैनी, डॉ. अमित, और डॉ. सुनील चौहान अपनी एनेस्थीसिया टीम के साथ शामिल थे। मरीज की हालत स्थिर है और वह तेजी से स्वस्थ हो रही है।