बांदीकुई-जयपुर एक्सप्रेस वे को पिछले साल नवम्बर में पूरा होना था, लेकिन काम में किसी ना किसी वजह से देरी होती रही और आठ माह देर से जून की शुरुआत में जाकर काम पूरा हुआ। रोड सेफ्टी ऑडिट से पहले ट्रायल शुरू हुई और ट्रायल पूरी होने के बाद रोड सेफ्टी ऑडिट का काम भी पूरा हुआ, लेकिन एनएचएआई के अधिकारी अब दिल्ली से हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं।
जयपुर और दौसा के अधिकारी यही कह रहे हैं कि हमने काम पूरा कर लिया, अब बस दिल्ली से हरी झंडी मिलते ही शुरू कर देंगे। संभावना है कि एक्सप्रेस वे को शुरू करने से पहले उद्घाटन समारोह भी हो सकता है। हालांकि, यह सब केन्द्रीय सडक परिवहन मंत्रालय के स्तर पर ही तय होना है।
एक्सप्रेस वे शुरू नहीं होने से लग रहा जाम
दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस वे शुरू होने के बाद से जयपुर का ट्रेफिक डायवर्ट हो गया था। जयपुर से दिल्ली जाने वाले कई वाहन दौसा होते हुए एक्सप्रेस वे के माध्यम से जाने लगे। जयपुर से निकलते ही कानोता में जाम लगने लगा। हालत यह हो गई कि दस मिनट से बीस मिनट तक कानोता चौराहे पर जाम रहता है। शुक्रवार, शनिवार और रविवार को हालात ज्यादा खराब रहते हैं। इसके अलावा भी जयपुर-दौसा के बीच कुछ जगहों पर कभी-कभी जाम लगा रहता है। दिल्ली अब मात्र ढाई-तीन घंटे की दूरी पर
बांदीकुई-जयपुर एक्सप्रेस वे शुरू होते ही दिल्ली, गुड़गांव, सोहना, फरीदाबाद बहुत पास हो जाएंगे। जयपुर-आगरा रोड पर बगराना के पास एक्सप्रेस वे पर सफर शुरू करने के बाद दिल्ली पहुंचने में ढाई से तीन घंटे ही लगेंगे।
120 की रफ्तार से दौड़ेंगी कारें
कारें 120 किलोमीटर की रफ्तार से चल सकेंगी। जयपुर से सोहना और गुड़गांव तक पूरी तरह से नियंत्रित एक्सप्रेस वे पर सफर करने से ट्रेफिक जाम की समस्या से तो निजात मिलेगी ही साथ ही वाहन की गति मे भी बार-बार बदलाव नहीं करना पड़ेगा। बांदीकुई-जयपुर एक्सप्रेस वे चार लेन का है, जबकि दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस वे आठ लेन का है। सोहना से गुड़गांव के बीच छह लेन का एक्सप्रेस वे बना हुआ है, जिसकी लम्बाई करीब बीस किलोमीटर है।