शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने बताया कि वर्तमान में राज्य के अधिकांश क्षेत्रों में तापमान अत्यधिक बढ़ गया है, जिससे लू जैसी स्थिति बन रही है। ऐसे में घोड़े, गधे, खच्चर, भैंस और बैल जैसे भारवाहक पशुओं को दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच कार्य में लेने से उन्हें हीट स्ट्रोक, निर्जलीकरण और मौत जैसी गंभीर परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।
जहां तापमान 37 डिग्री से अधिक हो, वहां पूरी तरह से प्रतिबंधित
पशुओं के प्रति दृष्टिकोण अपनाते हुए और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960, 1965 व 2001 के प्रावधानों का पालन करते हुए यह निर्णय लिया गया है कि जहां तापमान 37 डिग्री से अधिक हो, वहां दोपहर में भारवाहक पशुओं का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। इसके अलावा, तापमान 30 डिग्री से ऊपर होने पर पशुओं के पैदल परिवहन पर भी रोक रहेगी।
जिलों को जारी किए सख्त दिशा-निर्देश
शासन सचिव ने सभी जिला कलेक्टर्स और जिला पशु क्रूरता निवारण समिति के अध्यक्षों को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि वे इन नियमों की सख्ती से पालना सुनिश्चित करें। स्थानीय निकाय, पुलिस प्रशासन और संबंधित विभागों को प्रभावी मॉनिटरिंग के निर्देश भी दिए गए हैं।पशुओं की देखभाल के लिए स्वच्छ और ठंडा पेयजल, पर्याप्त छाया और पौष्टिक चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा गया है।
साथ ही आमजन को भी इस विषय में जागरूक करने के लिए समाचार पत्रों, पोस्टरों, बैनरों, रेडियो और सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश जारी किए गए हैं।यह निर्णय पशुधन कल्याण की दिशा में एक संवेदनशील और सराहनीय पहल मानी जा रही है, जिससे प्रदेश में पशुओं की सेहत और जीवन रक्षा को लेकर एक मजबूत उदाहरण स्थापित होगा।