उस दिन बहुत खुश हुई। घर वालों से कभी दूर नहीं हुई। पिता ने बड़े लाड़-प्यार से रखा है। फिलहाल ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में पढ़ाई कर रही हूं। यहां आने के बाद कुछ समय तो ठीक रहा, लेकिन बीते चार महीनों से दुखी हूं।
मुफ्त का खाना खाने को मजबूर
सरकार ने ट्यूशन फीस तो दे दी, लेकिन लिविंग एक्सपेंसेज देने का जो वादा किया, वो निभाया नहीं रही। यहां मेरा हर महीने एक लाख रुपए का खर्चा हो रहा है। दो महीने घरवालों से मांग लिए। उन्होंने एफडी तुड़वा कर और कर्ज लेकर मुझे पैसे दिए। अब मैं उनसे और पैस नहीं मांग सकती। नियमों के तहत यहां जॉब भी नहीं कर सकती। इसीलिए अब यूनिवर्सिटी से मिलने वाला मुफ्त का खाना खाने को मजबूर हूं। इसके लिए अलसुबह जल्दी उठकर लाइन में लगती हूं। यह फ्रोजन फूड होता है, जिसे एक या दो हफ्ते गर्म करके थोड़ा-थोड़ा खाकर काम चलाती हूं। मैंने ऐसे दिन कभी नहीं देखे, कभी सोचा नहीं था कि यूं भिखारियों की तरह मुफ्त के खाने की लाइन में लगना पड़ेगा।
सरकार पर साधा निशाना
सरकार को अगर ऐसे ही पढ़ाना था तो फिर यह योजना क्यों शुरू की। यह पीड़ा केवल सिर्फ एक छात्रा की नहीं बल्कि उन सैकड़ों अल्पआय वर्ग के छात्र-छात्राओं की हैं, जिन्होंने विदेश पढ़ने का सपना देखा और स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस योजना के तहत पढ़ने गए हैं। सरकार ने रोक रखा बजट
दरअसल, कांग्रेस सरकार ने राजीव गांधी स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस योजना शुरू की। भाजपा सरकार ने आने के बाद इसका नाम बदलकर विवेकानंद स्कॉलरशिप योजना कर दिया। कांग्रेस सरकार के आखिरी साल में जिन छात्र-छात्राओं का चयन हुआ, उन्हें
भाजपा सरकार आने के बाद योजना के तहत भेजा गया। सरकार ने योजना के तहत ट्यूशन फीस दे दी, लेकिन रहने का खर्चा नहीं दिया, जो हर महीने 75 हजार रुपए होता है।
योजना से जुड़ीं ये खामियां
- * 2023 सत्र में जिन छात्र-छात्राओं का चयन हुआ, उन अभिभावकों ने सरकार से भुगतान नहीं मिलने पर खुद ही ट्यूशन फीस जमा कर दी, लेकिन पिछले दो सेेमेस्टर की फीस का पैसा नहीं मिला।
- * कांग्रेस सरकार में जिन छात्र-छात्राओं का चयन हुआ, उस सूची के कुछ छात्र सरकारी खामी के कारण विदेश जाने से रह गए, जिन्होंने उच्च शिक्षा विभाग से डेफर मांगा है। उनकी प्रक्रिया अटकी है।
- * सत्र 2024-25 में 500 छात्रों की सूची विवेकानंद स्कॉलरशिप योजना तहत जारी होनी है। लंबा समय बीत जाने के बाद भी सरकार सूची जारी नहीं कर पाई।
हमारे पास छात्र-छात्राएं और अभिभावक आ रहे हैं। जिनकी सूची अटकी है, उनके लिए विभाग के अधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं। वित्त विभाग से बजट आना भी शुुरू हो गया है। जिनका पैसा अटका है, दे दिया जाएगा।
- प्रेमचंद बैरवा, उच्च शिक्षा मंत्री एवं डिप्टी सीएम