कोर्ट ने अधिकारियों के रवैये पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पिछले साल दिए गए अदालत के निर्देशों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। यह कानून के शासन पर सवाल उठाता है। अधिकारी स्वयं को कानून से ऊपर मान रहे हैँ, लेकिन कोर्ट आंख बंद करके नहीं बैठ सकता। इंसानों से जानवरों जैसा बर्ताव नहीं हो सकता और न जान बचाने के लिए धन की कमी का बहाना चल सकता।
कोर्ट ने मुख्य सचिव से अदालती आदेशों की पालना के लिए समन्वय समिति बनाने और लू से बचाव के लिए कार्ययोजना बनाने का निर्देश दिया, वहीं केन्द्रीय गृह मंत्रालय, मुख्य सचिव व राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण तथा केन्द्र व राज्य सरकार के 10 अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। साथ ही, लू से जान बचाने के लिए दिए गए निर्देशों को लेकर सभी कलक्टरों से 24 अप्रेल तक पालना रिपोर्ट तलब की।
न्यायाधीश अनूप कुमार ढंड ने लू और जलवायु परिवर्तन को लेकर गुरुवार को स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेकर जनहित याचिका दर्ज करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि प्रदेश के कई जिलों में तापमान 50.5 डिग्री पहुंच जाता है और दिन-प्रतिदिन स्थिति विकराल होती जा रही है।
लू के कारण मौत जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर चुनौती
लू के कारण मौत को कोर्ट ने जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर चुनौती बताया। वहीं, कहा कि अधिकारियों को कर्त्तव्य से भागने की मंजूरी नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने निष्क्रियता को गंभीर उपेक्षा मानते हुए कहा कि अगर आदेशों की अनुपालना नहीं हुई तो मजबूरन कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने कहा कि अदालती आदेश पर 10 माह तक कोई कार्ययोजना नहीं बनाई और न ही कोई प्रयास किया गया।
कोर्ट ने कहा, क्यों न यह निर्देश दिए जाएं
-सड़कों के दोनों ओर वृक्षारोपण और हरे-भरे सार्वजनिक स्थान विकसित हो।
-लू व शीतलहर रोकथाम विधेयक, 2015 को प्रभावी अधिनियम बनाकर लागू किया जाए।
-खुले में काम करने वालों को श्रमिकों को दोपहर 12 से 3 बजे तक विश्राम की अनुमति दी जाए।
-श्रमिकों को ओआरएस, आम पना तथा इंसान व पशु-पक्षियों के लिए पेयजल की व्यवस्था की जाए।
-स्वास्थ्य केन्द्रों पर लू से बचाव के उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
-एसएमएस, एफएम रेडियो, मोबाइल एप और सोशल मीडिया के जरिए अलर्ट जारी किया जाए। इनसे कोर्ट का सहयोग करने को कहा
कोर्ट ने अति. सॉलिसिटर जनरल आरडी रस्तोगी, अति. महाधिवक्ता भुवनेश शर्मा, जीएस गिल, कपिल प्रकाश माथुर, संदीप तनेजा व विज्ञान शाह सहित अधिवक्ता सुशील डागा, कुणाल जैमन व त्रिभुवन नारायण सिंह से कहा कि वे इस मामले में अदालत को सहयोग करें।