मनचाही संतान पैदा करना स्त्री के वश में नहीं, फिर भी उसे बेटी पैदा करने पर प्रताड़ित किया जाता है। यहां इस हद तक क्रूरता की गई कि विवाहिता के पास बेटी को फंदे पर लटकाने के बाद स्वयं फांसी लगाने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं मिला। ऐसे में दोषी के प्रति नरमी नहीं दिखाई जा सकती।
जयपुर महानगर-द्वितीय के पीठासीन अधिकारी आशुतोष कुमावत ने यह आदेश दिया। अभियोजन पक्ष ने कोर्ट को बताया कि सुनीता का विवाह आटा-साटा में वर्ष 2018 में हुआ। उसके बेटा नहीं होने पर ससुराल वाले प्रताड़ित करते थे। मार्च 2020 में दूसरी बेटी पैदा होने पर ससुराल वाले उसे अस्पताल छोड़ आए।
इसकी महिला थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद ससुराल वाले सुनीता को ले गए। बाद में प्रताड़ना से तंग होकर 4 जुलाई 2023 को सुनीता ने पहले चार साल की बेटी को फांसी पर लटकाया और बाद में खुद फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। इस पर मृतका के पिता ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। वहीं पति की ओर से कहा गया कि उसकी बहन की शादी उसके साले से आटे-साटे में हुई। शादी के बाद बहन पीहर रहने लगी थी। साले के अपनी पत्नी को ससुराल भेजने के दबाव बनाने के कारण उसकी बहन ने आत्महत्या की।