समिति अध्यक्ष भवानी शंकर माली ने बताया कि 20 जुलाई, 2017 को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी किया था। इसमें साफ लिखा है कि कृषि प्रयोजन आधारित भूमि भी विवाह स्थल में शामिल है। हालांकि, लाइसेंस फीस के रूप में नगर निगम सीमा में संचालित होने वाले विवाह स्थलों को 20 रुपए प्रति वर्ग गज के हिसाब से सालाना लाइसेंस फीस जमा करानी होगी। इस फीस के अलावा मैरिज गार्डन का नगरीय विकास कर भी जमा करवाते हैं। वरिष्ठ उपाध्यक्ष पर्वत सिंह भाटी ने कहा कि जेडीए ने मनमानी बंद नहीं की तो आगे की शादियां निरस्त कर विवाह स्थलों पर ताले लगा चाबियां जेडीए अधिकारियों को सौंप आएंगे।
तय हुआ लड़ेंगे कानूनी लड़ाई
बैठक में समिति ने तय किया कि पूरी लड़ाई कानून के दायरे में रहकर लड़ी जाएगी। इसी के तहत राज्य सरकार के साथ-साथ जेडीए के आला अधिकारियों को भी ज्ञापन भेजा गया है।