10-11 साल की बहनों का दर्द , पापा हमें कमरे में ले जाते, मां बाहर खड़ी रहती थी… सख्त एक्शन के बाद DCP ने की मार्मिक पोस्ट
Father Raped Two Daughters Arrest: दोनों बेटियों की मां ने समाज के डर और बदनामी के कारण इस बारे में किसी को नहीं बताया। लेकिन अक्सर जब बेटियों के कमर और पेट के हिस्से में दर्द होता तो मां उन्हें नजदीक के सरकारी अस्पताल में ले जाती। यह पूरा मामला वहीं से शुरू हुआ।
डीसीपी अमित बुडानिया ने बताया दोनों बहनें बहुत डरी हुई थीं…
Jaipur Crime News: राजधानी जयपुर में हैरान करने वाले एक केस से पर्दा उठा है। पुलिस ने दस और ग्यारह साल की दो बहनों के पिता को अरेस्ट किया है। उससे आज पूछताछ की तैयारी की जा रही है। दोनों बहनें इतने सदमे में हैं कि पुलिस को उनके बयान लेने के लिए कई तरह की प्लानिंग करनी पड़ी। उन्हें सुरक्षित महसूस कराया जा सके इसके लिए महिला पुलिसकर्मियों ने प्रयास किए और आखिर वे रंग लाए। पूरे मामले की जानकारी डीसीपी वेस्ट अमित कुमार को थी, उन्होनें सब कुछ प्लान किया और आखिर आरोपी को दबोच लिया गया। मामला सदर थाना इलाके का है।
डीसीपी वेस्ट अमित कुमार ने बताया कि परिवार सदर थाना इलाके में रहता है। घर में दो बेटियां और मां रहती हैं। उनके पिता भी साथ ही रहते हैं। पिता अक्सर शराब के नशे में मारपीट करते हैं और मां के साथ ही बेटियों का भी रेप करते हैं। तीनों का लगातार यौन शोषण हो रहा था। दोनों बेटियों की मां ने समाज के डर और बदनामी के कारण इस बारे में किसी को नहीं बताया। लेकिन अक्सर जब बेटियों के कमर और पेट के हिस्से में दर्द होता तो मां उन्हें नजदीक के सरकारी अस्पताल में ले जाती। यह पूरा मामला वहीं से शुरू हुआ। मामला सदर थाना इलाके का है। इसके खुलासे के लिए पुलिस ने चित्रकूट थाने की एसएचओ और टीम की मदद ली। पूरा खुलासा हैरान करने वाला है। पुलिस ने इस पूरे मामले में पिता को अरेस्ट कर लिया है।
डीसीपी ने लिखा… कैसे मिले न्याय, जब चौखट पर दरिंदगी बैठी हो…
21 जून को एक एनजीओ के माध्यम से जयपुर पश्चिम पुलिस को सूचना मिली कि एक कलयुगी पिता अपनी मासूम बेटियों को हवस का शिकार बना रहा है । माँ डरी हुई, जिसकी मासूम बेटियों के साथ ये दरिंदगी हुई लेकिन अपने पति के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कराने को तैयार नहीं । कारण और भी अधिक भयावह है- उस समाज का डर ,जो अपराध से पीड़ित बेटियों को भी हक़ारत की नजरों से देखता है, उस परिवार का डर ,जिसमे महिला रहती है, यह डर की कहीं वो छुट कर बाहर आया तो कैसे अपना बचाव करेगी और अंत में सबसे बड़ा डर कि अब उसका और बेटियों का पेट कौन पालेगा ।आख़िरी डर हमारे समाज की कठोर सच्चाई है, वो कमजोर माँ जो अपने कमजोर शरीर के साथ बिना किसी आर्थिक स्वावलंबन के खड़ी थी ,कैसे लड़े उस समाज से, जिसने उसे आत्मनिर्भर नहीं होने दिया।
माँ किसी भी सूरत में मुकदमा दर्ज नहीं कराना चाहती थी, पुलिस ने हिडन कैमरा के सामने उसकी काउंसलिंग की और पुलिस इंस्पेक्टर अंतिम शर्मा ने उस काउंसलिंग के बाद मुक़दमा सदर थाने में दर्ज कराया । गवाहों के बयान और मेडिकल रिपोर्ट के आलोक में अपराध प्रमाणित होने पर मुलजिम गिरफ्तार हुआ । पुलिस ने उस महिला के डर के कारण स्वयं मुकदमा दर्ज कराया लेकिन सवाल कहीं अधिक गहरा है- क्या उस महिला और उसकी मासूम बच्चियों का डर हम खत्म कर पाये, क्या आर्थिक स्वावलंबन के बिना हम चौखटों के भीतर दबी निरीह आवाजों को सुन पायेंगे । पुलिस की बेहद सीमित भूमिका है अपराध नियंत्रण में । जब तक समाज की आधी आबादी की आर्थिक आजादी और निर्णय की स्वतंत्रता हम दबाए रखेंगे तब तक न्याय का लक्ष्य कोसों दूर है ।
उम्मीद है नए भारत में हम सशक्त महिलाओं से युक्त समाज का निर्माण करेंगे । उम्मीद है ऐसी मजबूर माँओं से पुलिस को सामना ना करना पड़े जो अपनी मासूम बेटियों के लिए भी लड़ने की हिम्मत ना जुटा पाये ।
कहा जाता है “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमंते तत्र देवता “ आओ हम अपने घर के बेटियों को सक्षम बनाये, आओ हम मजबूत भारत का निर्माण करें । जय हिन्द, जय भारत ।