दादा-दादी, मां-बाप हो गए व्यस्त
उन्होंने कहा कि आजकल के दादा-दादी टीवी सीरियल में व्यस्त हैं तो पेरेंट्स सॉफ्टवेयर वर्ल्ड में। ऐसे में बच्चों को नैतिक मूल्य कौन सिखाएगा? इसलिए उन्होंने हर सीख को किसी न किसी कहानी में पिरोने की कोशिश की है। प्याज परतदार कैसे है, आम मीठा क्यों है, समुद्र खारा क्यों है… जैसे छोटे-छोटे सवालों के इर्द-गिर्द उन्होंने कहानियां बुनी हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में अच्छी चीजें ही सफलता लाती हैं।बच्चों जैसे बनें
सुधा मूर्ति ने कहा कि हमें अपने जीवन बच्चे की तरह बनने कोशिश करनी चाहिए। एक बच्चा मासूम, जिज्ञासु होता है, वह किसी की बुराई नहीं करता। किसी के रूप-रंग की आलोचना नहीं करता। उसकी महत्वाकांक्षाएं कम होती हैं। सोचिए इन बातों में कितना सुकून है। मैं जब कहानियां लिखती हूं तो एक बच्चे की तरह बन जाती हूं। कहानी पूरी होने के बाद उस बच्चे से बाहर निकलना पीड़ादायक होता है।JLF 2025 : गांधी जब चलते थे तो उनके साथ आमजन का सैलाब चलता था…
दोनों नातिनों ने बदली कहानियां
सुधा मूर्ति ने कहा कि उन्होंने इंग्लैंड में पैदा हुई अपनी नातिनों को महाभारत की कथाएं सुनाईं तो उन्होंने इसमें अपनी समझ से बदलाव कर दिए। उनकी नजर में कृष्ण चीज, पनीर खाते हैं और स्विमिंग पूल में नहाने आई लड़कियों की ड्रेस चुरा लेते हैं। द्रोपदी को कृष्ण ने अक्षयपात्र नहीं, इंस्टापॉट दिया और जब ऋषि दुर्वासा भोजन के लिए आए तो कृष्ण ने उन्हें कहा कि इंस्टापॉट गंदा है, इसमें खाना न खाएं।JLF 2025 : आर्थिक पहलुओं को आसानी से समझें इसलिए बनाए कैरेक्टर, युवाओं के लिए है बुक
भारत में सदियों पुरानी कहानियां
सुधा मूर्ति ने कहा कि भारत में अलग-अलग विषयों की लाखों कहानियां हैं। हर कहानी उस देश की संस्कृति बताती है। सिंधु सभ्यता का एक कप मिला है, जिसमें एक कौवे की चोंच में पत्थर है। इस कहानी को हम सब जानते हैं।रेलवे का फैसला, अब बदले रूट से चलेगी पुरी-जोधपुर ट्रेन, जानें
अपने आप को मुसीबत में बड़ा बनाएं
उन्होंने कहा कि जब हनुमान जी संजीवनी लेने गए तो उन्होंने पता नहीं था कि कौनसी जड़ी बूटी लानी है। उन्होंने पर्वत को उठाने के लिए अपने शरीर के आकार को बड़ा लिया। ठीक उसी तरह से आप खुद को मुसीबत से बड़ा बना लें। मुसीबत जब छोटी लगने लगेगी तो आप उससे अच्छे से निपट पाएंगे।राजस्थान में 90 हजार स्कूली बच्चों की होगी सर्जरी, जानें क्यों?
सिंपल रहें, लाइफ सिंपल होगी
सुधा ने कहा कि सोचिए अगर मेरे घर कोई चोर आएगा तो उसे क्या मिलेगा, किताबें और पुरानी साड़ियां। निश्चित रूप से किताबें और पुरानी साड़ियां चोर नहीं लेकर जाएगा। अपने घर को सिंपल रखें, कीमती चीजों से दूरी बनाएं। लाइफ सिंपल होगी।Food Security Scheme : ई-मित्र पर आवेदन के लिए सिर्फ 50 रुपए है शुल्क, इस नम्बर पर करें भ्रष्टाचार की शिकायत
12 साल की उम्र से शुरुआत
सुधा मूर्ति ने बताया कि बात 1962 की है, जब वह 12 साल की थीं। वह साधारण स्कूल में पढ़ती थी। उनकी टीचर मेटरनिटी लीव पर गईं तो उन्होंने क्लास मॉनिटर होने के नाते उन्हें पढ़ाने की जिम्मेदारी दी। उस वक्त क्लास में सब उनकी कम हाइट का मजाक उड़ाते थे। उन्होंने सोचा कि खुद को साबित करने का अच्छा मौका है। उन्होंने इतिहास को कहानी की तरह पढ़ाने की सोचा और जो पहली कहानी सुनाई वह थी, रानी पद्मिनी की। तब क्लास की सारी लंबी लड़कियां उन्हें ध्यान से सुनने लगीं। तब उन्हें पहली बार कहानियों की ताकत का अहसास हुआ। उन्होंने मजाक में कहा कि यदि पत्नियां चाहती हैं कि पति उनकी सुनें तो उन्हें अच्छी कहानियां सुनाने की कला सीखनी होगी। आज भी उनके बहुत सारे स्टूडेंट्स ऐसे हैं, जिन्हें उनका पढ़ाया जावा, सीप्लस प्लस, पास्कल याद नहीं, लेकिन कहानियां याद हैं।Good News : राजस्थान में गिव अप अभियान की डेट बढ़ी, जानें नई क्या है?
खास बातें
1- जीवन सामंजस्य का नाम है।2- बच्चों में पढ़ने की आदत डालें
3- लगातार सफलता अहंकारी बनाती है, जीवन में विफलता और सफलता के बीच संतुलन जरूरी।
4- अपने विचारों को साफ-सुथरा रखें।
5- हमेशा सकारात्मक रहें।
6- बच्चों को ज्यादा रोके-टोके नहीं।