नहीं हुई थी सुनवाई
जब मेट्रो फेज- 1 का रूट निर्धारित किया गया था, उस समय नगरीय विकास विभाग के आला अधिकारियों ने इसके अव्यावहारिक होने की आशंका जता दी थी।आगे ये उम्मीद
1- जयपुर में विस्तार की गति बेहद धीमी रही। जैसे रूट बढ़ेगा तो यात्रियों की संख्या में इजाफा होगा।2- दो गुना ट्रैक बढ़ता है तो यात्री भार चार गुना बढ़ता है।
3- परकोटे में दो स्टेशन चालू होने से डेढ़ से दो गुना तक यात्री भार बढ़ गया था।
4- फेज-2 में शहर के वे स्थान कनेक्ट हो जाएंगे, जहां यात्रियों की आवाजाही ज्यादा रहती है।
5- पहले से चल रहा रूट भी जुड़ जाएगा। ऐसे में लोग आसानी से इधर-उधर जा सकेंगे।
(मेट्रो से जुड़े रहे अधिकारियों के साथ बातचीत के आधार पर)।
मानसरोवर से चांदपोल का रूट अव्यावहारिक
मानसरोवर से चांदपोल का रूट अव्यावहारिक है। जब तक बस स्टैंड, एयरपोर्ट से लेकर औद्योगिक क्षेत्र नहीं जुड़ेंगे, तब तक यात्री भार संभव नहीं है। टोंक रोड पर मेट्रो पहले चरण में शुरू की जानी चाहिए थी। मेट्रो स्टेशन के आस-पास की कॉलोनियों में फीडर सेवा को मजबूत करने की जरूरत है। साथ ही सिटी बसों को भी मेट्रो स्टेशन के नीचे से निकाला जाना चाहिए। कनेक्टिविटी पर फोकस करने की जरूरत है।नेहा खुल्लर, ट्रैफिक मामलों की जानकार