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जयपुर सेप्टिक टैंक हादसा: मानवाधिकार आयोग ने लिया सख्त एक्शन, कंपनी मालिक को देना होगा ये जवाब

Jaipur Septic Tank Accident: राजधानी जयपुर के सीतापुरा औद्योगिक क्षेत्र स्थित एक फैक्ट्री में सेप्टिक टैंक की जहरीली गैस से चार मजदूरों की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है।

जयपुरMay 27, 2025 / 06:41 pm

Nirmal Pareek

Jaipur septic tank accident

सेप्टिक टैंक हादसे के मृतक, फोटो- पत्रिका नेटवर्क

Jaipur Septic Tank Accident: राजधानी जयपुर के सीतापुरा औद्योगिक क्षेत्र स्थित एक फैक्ट्री में सेप्टिक टैंक की जहरीली गैस से चार मजदूरों की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस दर्दनाक हादसे पर अब राज्य मानवाधिकार आयोग ने सख्त रुख अपनाया है और जयपुर जिला कलेक्टर, पुलिस कमिश्नर और फैक्ट्री मालिक को नोटिस जारी किया है। आयोग ने स्पष्ट कहा है कि मानव जीवन की कीमत पर लापरवाही किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है।
आयोग के अध्यक्ष जस्टिस जी.आर. मूलचंदानी ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों और कंपनी से जवाब मांगा है। आयोग ने यह भी निर्देश दिए हैं कि पीड़ित परिवारों को यथाशीघ्र मुआवजा राशि उपलब्ध कराई जाए और कंपनी अपनी ओर से भी परिजनों को उचित क्षतिपूर्ति दे। अब इस मामले में अगली सुनवाई 16 जून 2025 को होगी।
आदेश की कॉपी

क्या हुआ था हादसे में?

बताते चलें कि सोमवार रात करीब 8:30 बजे सीतापुरा के ज्वैलरी जोन स्थित अचल ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड में हादसा हुआ। फैक्ट्री के लगभग 10 फीट गहरे सेप्टिक टैंक में सोने के कण व बुरादा निकालने उतरे मजदूर जहरीली गैस की चपेट में आ गए।
हादसे में चार मजदूरों की मौके पर मौत हो गई, जबकि चार अन्य बेहोश हो गए। मृतकों की पहचान उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर निवासी संजीव पाल, हिमांशु सिंह, रोहित पाल और सुल्तानपुर निवासी अर्पित यादव के रूप में हुई है। वहीं, घायल मजदूर अमित चौहान और राजपाल को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दो अन्य को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई।

फैक्ट्री में कैसे हुआ हादसा?

बताया जा रहा है कि फैक्ट्री में सोने के आभूषण बनते हैं, और कटिंग के दौरान निकला बुरादा, केमिकल युक्त पानी के साथ सेफ्टी टैंक में पहुंचता है। लगभग डेढ़ माह में एक बार टैंक को साफ किया जाता है। सोमवार को पहले अमित और रोहित टैंक में उतरे। कुछ ही देर में दोनों बेहोश हो गए। उन्हें बचाने के लिए एक के बाद एक छह अन्य मजदूर भी टैंक में उतर गए, लेकिन घातक गैस से चार की जान चली गई।
सुरक्षा मानकों की घोर अनदेखी के चलते बिना मास्क और गैस डिटेक्टर के मजदूरों को टैंक में उतारा गया था। फैक्ट्री प्रशासन ने हादसे के बाद भी तत्काल आपात सेवाओं को सूचित नहीं किया, जिससे चार ज़िंदगियां हमेशा के लिए चली गईं।

प्रशासन की जिम्मेदारी तय होगी

मानवाधिकार आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि यह श्रमिक अधिकारों का उल्लंघन है और इसमें फैक्ट्री प्रशासन, जिला प्रशासन और श्रम निरीक्षण तंत्र की भी जवाबदेही तय होगी। आयोग ने नोटिस में कहा है कि दोषियों पर आपराधिक कार्यवाही होनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

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