कोर्ट ने पुलिसकर्मियों पर न्यायिक व अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए आदेश की कॉपी जयपुर शहर (दक्षिण) के पुलिस उपायुक्त को भेजी है। जयपुर महानगर-प्रथम क्षेत्र की पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत क्रम-2 के जज तिरुपति कुमार गुप्ता ने पुलिस के अनुसंधान पर सवाल उठाया है। आदेश में कहा कि अनुसंधान अधिकारी ने दो अन्य आरोपियों के लिए अलग पैमाना अपनाया है, जबकि चैट में इन दोनों ने भी ग्रुप पर अश्लील भाषा में न्यूड फोटोग्राफ की मांग की। इन दोनों ने ग्रुप की गतिविधियों में सक्रिय सहयोग किया।
अदालत ने कहा कि 3 फरवरी 2024 को एफआइआर दर्ज हुई, लेकिन पीड़िताओं के बयान करीब 8-10 माह बाद दर्ज कराए गए। पीड़िता की उम्र की जानकारी होने के बावजूद दस माह तक पॉक्सो की धाराएं नहीं जोड़ी गईं। यह पॉक्सो के तहत अपराध है।
सरकारी वकील ने कहा कि आरोपियों ने सोशल मीडिया पर ग्रुप बनाया और एआई से छात्राओं के अश्लील फोटो तैयार कर अपलोड कर दिए। कुछ आरोपियों ने इन फोटो पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। सरकारी वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि जमानत पर छोड़ा गया तो आरोपी स्कूल का माहौल खराब करेंगे।
आरोपियों की ओर से अधिवक्ता प्रियंका पारीक ने कोर्ट में कहा कि अपीलार्थी किशोर 14 दिसंबर 2024 से अभिरक्षा में हैं और उन्हें अपने किए पर पछतावा है। अभिरक्षा में होने के कारण पढ़ाई प्रभावित होने के आधार पर जमानत पर रिहा करने का आग्रह किया। पारीक ने कहा कि आईओ ने दो अन्य किशोरों को गवाह बनाया है, जबकि पीड़ित पक्ष ने उनका भी रोल बताया।