बता दें कि न्यू सांगानेर रोड पर गंगा-जमुना पेट्रोल पंप के पास एक नई बनी सड़क ढह गई, जिससे एक बड़ा गड्ढा बन गया। इससे कई घंटे तक यातायात बाधित रहा। मंगलवार और बुधवार को हुई बारिश के दौरान मालवीय नगर के मुख्य मार्ग और सेक्टर-5 में भी इसी तरह की सड़कें ढहने की खबरें आई थीं।
क्या कहना है जेडीए अधिकारियों का
जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) और जेएमसी-ग्रेटर दोनों के अधिकारियों ने पाइप लाइन के काम और विभागों द्वारा बार-बार खुदाई पर उंगली उठाते हुए दोष मढ़ दिया। जेडीए के कार्यकारी अभियंता देवेंद्र गुप्ता ने कहा, गंगा-जमुना पेट्रोल पंप के पास सड़क जेडीए द्वारा ठीक से बनाई गई थी। नुकसान पाइप लाइन के काम के कारण हुआ था। सड़क की गुणवत्ता मुद्दा नहीं थी।
सीजन की पहली जोरदार बारिश में जलमग्न हुआ राजस्थान का ये कस्बा, नदी-नालों में तेज उफान से अवरुद्ध हुए रास्ते
कार्यकारी अभियंता ने पल्ला झाड़ा
जेएमसी-ग्रेटर के कार्यकारी अभियंता मदन मोहन शर्मा ने भी मालवीय नगर सड़क धंसने की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए कहा, हम अच्छे निर्माण को सुनिश्चित करते हैं। लेकिन बिजली या पाइप लाइन विभागों द्वारा बार-बार खुदाई करने से सड़कें खराब हो जाती हैं, इसलिए सड़क धंस जाती हैं।
सड़कों पर लगा भारी जाम
गुरुवार की बारिश के दौरान जयपुर शहर में भारी भीड़ देखी गई। कलेक्ट्रेट सर्किल तक पहुंचने में एक घंटे से अधिक समय लगा। बैस गोदाम में एक पेड़ गिरने से एक खड़ी गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई, जबकि खिरनी फाटक अंडरपास जलभराव के कारण लगभग दुर्गम हो गया, जिससे यात्रियों को लंबा चक्कर लगाना पड़ा।
अगले 180 मिनट में इन जिलों में भारी बारिश की चेतावनी, IMD ने ‘ऑरेंज और येलो’ किया जारी
वहीं, महेश्वर महादेव मंदिर के पास वाल्ड सिटी क्षेत्र में बाढ़ के कारण दुकानें जल्दी बंद हो गईं। निवासियों और यात्रियों ने परेशानी उठानी पड़ी। झोटवाड़ा निवासी शिवम शर्मा ने कहा, हर मानसून में हमें इसी समस्या का सामना करना पड़ता है। लेकिन इस साल यह पहले दिन से ही शुरू हो गया है। हम अपनी बाइक को पानी के बीच से घसीटते हुए ले गए।
एक अन्य राहगीर नेहा मिश्रा ने बताया, उनका दोपहिया वाहन पानी में डूबे गड्ढे से टकरा गया, जिससे उन्हें भी चोट लग गई। कैलगिरी रोड जैसे इलाकों में स्थिति खासतौर पर चिंताजनक है, जहां खुले नाले परेशानियां पैदा करते हैं।
स्थानीय निवासियों ने क्या कहा
-दो महीने पहले शुरू हुआ नाले की सफाई का काम अभी भी अधूरा है। स्ट्रीट लाइटिंग की कमी खतरे को और बढ़ा देती है, जिससे लोगों और आवारा जानवरों के खुले नाले में गिरने की घटनाएं होती हैं।
-एक डिलीवरी करने वाला युवक रात में इलाके में एक गड्ढे में गिर गया।
-मानसरोवर में भी स्थिति कुछ बेहतर नहीं है, कई आंतरिक गलियां पहले से ही जलमग्न हैं और निवासियों को अस्थाई रास्तों का सहारा लेना पड़ रहा है या घुटनों तक पानी से गुजरना पड़ रहा है।
-ओवरफ्लो हो रहे नाले सड़कों पर गंदगी और मलबा छोड़ गए हैं, जिससे न केवल असुविधा हो रही है, बल्कि स्वास्थ्य को भी खतरा है।
-एक यात्री ने कहा, वाहन का टायर एक गहरे गड्ढे में फंस गया, मैं गिर गई और मेरे पैर में चोट लग गई। कोई बैरिकेड या चेतावनी नहीं थी।
इन सड़कों पर हुआ जलभराव
जलभराव की समस्या ने अजमेर रोड, डीसीएम, खातीपुरा, सिविल लाइंस, हसनपुरा, सोडाला और सहकार मार्ग सहित कई क्षेत्रों को प्रभावित किया। शहर में जल निकासी की लगातार समस्या को देखते हुए बेहतर योजना की आवश्यकता है। जयपुर नगर निगम द्वारा मानसून की तैयारियों के पहले के आश्वासन के बावजूद जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है।