गौरतलब है कि दस दिन पहले काम पर लगी नेपाली नौकरानी सावित्री देवी ने अपने साथियों के साथ बुजुर्ग मंजू देवी कोठारी, नौकर संदीप और नौकरानी प्रतिमा को बंधक बनाकर लूट को अंजाम दिया।
अहमदाबाद-बेंगलूरु में कर चुके वारदात
कानोता बाग में लूट करने वाला गिरोह पहले अहमदाबाद और बेंगलूरु में वारदात कर चुका है। वहां भी 12 हजार रुपए में 24 घंटे काम करने का लालच देकर सावित्री नौकरी कर रही थी। इसके बाद वारदात कर फरार हो गई थी। आरोपी को तलाश में लगी पुलिस टीम ने गांधी नगर स्थित होटल के मैनेजर व एक गार्ड को भी अपने साथ लिया है, इन्होंने नौकरानी रखर्वाई थी और ये उसे पहचान सकते हैं। नौकर संदीप और नौकरानी प्रतिमा को पुलिस ने पूछताछ के बाद छोड़ दिया। पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ ने बताया कि इस मामले की निगरानी कर रहे हैं, जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इधर, लूट की घटना के बाद सदमे में गईं मंजू देवी कोठारी की तबीयत में सुधार हो रहा है।
वारदात-दर-वारदात… अब तो जागो, नौकरों का कराओ सत्यापन
नौकर और किराएदारों का सत्यापन न करवाने की लापरवाही गंभीर वारदातों का कारण बन रही है। पुलिस की ऑनलाइन और ऑफलाइन सुविधाओं के बावजूद लोग इस प्रक्रिया को नजरअंदाज कर रहे हैं। पुलिस की ‘नजर ऐप’ पर अब तक केवल 22,000 से अधिक लोग रजिस्ट्रेशन करवा पाए हैं, जबकि यह आंकड़ा अपेक्षित संख्या से काफी कम है। एडिशनल पुलिस कमिश्नर कुंवर राष्ट्रदीप ने थानाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने क्षेत्रों में जाकर लोगों को सत्यापन करवाने के लिए प्रेरित करें। सत्यापन के लिए पुलिस थाने में व्यक्तिगत रूप से, वेबसाइट और ‘नजर ऐप’ के माध्यम से प्रक्रिया उपलब्ध है। पुलिस का कहना है कि सत्यापन की प्रक्रिया सरल और सहज है, जिसे अपनाकर लोग खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं। पुलिस सत्यापन से अपराधियों को पकड़ने और वारदात रोकने में मदद मिलेगी।
पहले हो चुकी ये घटनाएं
नवंबर 2023: खोह नागोरियान में एक फॉर्महाउस पर नेपाल निवासी नौकर ने पूर्व मुख्य सचिव के बेटे, बहू और पोते को नशीला पदार्थ देकर जेवर लूटे।
अगस्त 2024: वैशाली नगर में नेपाली नौकरों ने रिटायर्ड आइआरएस अधिकारी और उनके बेटे को नशीला पदार्थ खिलाकर नकदी और ज्वैलरी लूट ली।
15 जनवरी 2025: आदर्श नगर निवासी कैलाश गोयल के घर से नेपाली नौकर पंकज थापा ने 40 लाख के जेवर और सवा लाख रुपए चुरा लिए। (इन सभी वारदात में नौकरों का सत्यापन नहीं कराया गया था।)