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मैकेनाइज्ड पार्किंग जरूरत, नालों पर विकसित हो तो दोहरा फायदा

राजधानी में वाहनों का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। सड़क किनारे गाडि़यांखड़ी होने से रोड संकरी हो रही हैं। पिछले कुछ वर्षों में कई जगह भूमिगत पार्किंग विकसित की गई हैं, लेकिन ज्यादातर गाडि़यांसड़क पर ही खड़ी हो रही हैं। ऐसे में शहर के नालों के ऊपर मैकेनाइज्ड पार्किंग विकसित की जाएं तो एक […]

जयपुरMar 09, 2025 / 05:32 pm

Amit Pareek

jaipur
राजधानी में वाहनों का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। सड़क किनारे गाडि़यांखड़ी होने से रोड संकरी हो रही हैं। पिछले कुछ वर्षों में कई जगह भूमिगत पार्किंग विकसित की गई हैं, लेकिन ज्यादातर गाडि़यांसड़क पर ही खड़ी हो रही हैं। ऐसे में शहर के नालों के ऊपर मैकेनाइज्ड पार्किंग विकसित की जाएं तो एक गाड़ी की जगह तीन-चार गाडिय़ां खड़ी हो सकेंगी। साथ ही लोगों को नाले की वजह से दुर्गंध से भी निजात मिल जाएगी।
एक प्रयोग किया और काम बंद

शहर में पहली बार नगर निगम ने इस प्रयोग को किया। पीपीपी मॉडल पर सी-स्कीम के कृष्णा मार्ग स्थित नाले पर मल्टीलेवल पार्किंग शुरू की गई। इस नाले के ऊपर बनी पार्किंग में स्थानीय लोगों के साथ एमआइ रोड, इंदिरा बाजार, जयंती मार्केट और किशनपोल बाजार के व्यापारी व ग्राहक भी अपनी गाड़ीखड़ी कर रहे हैं। यहां करीब 400 गाडिय़ां पार्क करने की जगह है। इसके अलावा भामाशाह टेक्नो हब में भी मैकेनाइज्ड पार्किंग विकसित की गई है। वहीं जेडीए ने नेहरू पैलेस में मैकेनाइज्ड पार्किंग को चालू किया, लेकिन रखरखाव के अभाव में यह कबाड़ में तब्दील हो गई।
हैरिटेज ने बनाई योजना, नहीं ले पाई मूर्तरूप

– करीब दो वर्ष पहले सी-स्कीम क्षेत्र से गुजरने वाले नाले पर हैरिटेज नगर निगम ने पीपीपी मोड पर मैकेनाइज्ड पार्किंग बनाने का प्लान बनाया था, लेकिन अधिकारियों के बदलने के बाद यह योजना मूर्तरूप नहीं ले पाई।
– मालवीय नगर में भी खुले नाले की वजह से आसपास के लोग दुर्गंध से परेशान होते रहते हैं। यदि इस नाले के कुछ हिस्से में पार्किंग विकसित कर दी जाए तो लोगों को पार्किंग मिलने के साथ दुर्गंध से राहत मिले।
ऐसे करती है काम

मैकेनाइज्ड पार्किंग में रोटेटिंग प्लेटफाॅर्म होता है, जो कारों को एक स्थान से दूसरे स्थान और ऊपर ले जाता है।

मुंबई में सबसे पहले किया प्रयोग

जानकारों के अनुसार मुंबई में मैकेनाइज्ड पार्किंग की सबसे पहले शुरुआत की गई थी। मुंबई के व्यस्त इलाकों में यह बहुत ही लाभकारी साबित हुई। इसके बाद इसका दायरा बढ़ाया गया। इसके बाद दिल्ली, बेंगलूरु में आइटी हब क्षेत्र और कोलकाता में व्यस्त बाजारों में इस तरह की पार्किंग का काम शुरू किया गया।
ये हो रहा नुकसान

– सड़क किनारे गाडि़यांखड़ी कर देने से पैदल चलने वालों को परेशानी होती है।

– जेडीए-नगर निगम और आवासन मंडल ने सड़क की चौड़ाई इतनी बढ़ाई कि कई जगह फुटपाथ ही गायब हो गए। पेड़ तक काट दिए गए।
पार्किंग की समस्या शहर में लगातार बढ़ती जा रही है। इसे सीमित करना बहुत जरूरी है। शहर में कुछ जगह भूमिगत पार्किंग बनाई गई हैं, इनका सही से उपयोग होना चाहिए। साथ ही मैकेनाइज्ड पार्किंग पर भी सरकार और स्थानीय प्रशासन को काम करने की जरूरत है। पीपीपी मोड पर यदि ये विकसित की जाए तो सरकार पर अतिरिक्त बोझ भी नहीं पड़ेगा।
– चंद्रशेखर पाराशर, सेवानिवृत्त, अतिरिक्त मुख्य नगर नियोजक

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