पत्र में लिखा गया कि कॉलेज में शिक्षकों पर पढ़ाई के अलावा अनेक गैर-शैक्षणिक जिम्मेदारियां डाल दी गई हैं। इससे शैक्षणिक गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है, मानसिक तनाव बढ़ रहा है और कार्य संतुलन बिगड़ रहा है। पत्र में कहा गया कि हॉस्टल वार्डन, नोडल ऑफिसर, ऑक्सीजन प्लांट, फायर फाइटिंग, यातायात, भवन निर्माण जैसे प्रशासनिक कार्य शिक्षकों को नहीं सौंपे जाने चाहिए। इसके लिए ग्रुप-2 के चिकित्सा अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए ताकि शिक्षक पूरी तरह पढ़ाई पर ध्यान दें।
अरिस्दा अध्यक्ष डॉ चौधरी ने साधा निशाना… ऑल राजस्थान इन सर्विसेज डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी ने इसे शिक्षकों की वाजिब पीड़ा बताया। उन्होंने कहा कि यह दुखद स्थिति है कि शिक्षकों को प्रशासनिक जिम्मेदारियों और निजी प्रैक्टिस के कारण छात्रों को समय पर पढ़ाया नहीं जा रहा। इससे एलोपैथी चिकित्सा पद्धति की “भ्रूण-हत्या” हो रही है और आने वाले वर्षों में इसके गंभीर दुष्परिणाम सामने आएंगे। चौधरी ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि राजस्थान में भी केंद्र व अन्य राज्यों की तर्ज पर अनिवार्य एनपीए लागू किया जाए और शिक्षकों को केवल शैक्षणिक जिम्मेदारी दी जाए। इससे चिकित्सा शिक्षक पूरी निष्ठा से छात्रों के भविष्य निर्माण में जुट सकेंगे।
इधर, जयपुर में कल 2100 डॉक्टर रहेंगे सीएल पर..
रेजिडेंट की मौत के मामले में जयपुर में दो घंटे की पेन डाउन हड़ताल जारी है। इसके अलावा कोटा, बीकानेर, जोधपुर, उदयपुर, अजमेर, झालावाड़ में कंपलीट स्ट्राइक जारी है। जयपुर में अब तक कंपलीट स्ट्राइक नहीं हो सकी है। लेकिन अब सोमवार को जयपुर में एसएमएस व अन्य संलग्न अस्पतालों में हालात बिगड़े हुए दिखाई देंगे। जार्ड एग्ज्युकेटिव मेंबर भारत पारीक ने बताया कि जयपुर में 2100 से ज्यादा रेजिडेंट सीएल लेकर अवकाश पर रहेंगे। ऐसे में इमरजेंसी से लेकर ओपीडी व वार्डों में सब जगह चिकित्सा व्यवस्था प्रभावित होगी। इसके बाद कल शाम को जार्ड की मीटिंग में आगे की रणनीति तैयार होगी। रेजिडेंट का कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएगी, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।