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जयपुर

मोबाइल की लत विद्यार्थियों को बना रही हिंसक, रिपोर्ट ने किए कई बड़े खुलासे

Rajasthan News : मोबाइल ने बच्चों को डिजिटल गेम्स का आदी बना दिया है। दिन में अधिकतर समय मोबाइल के सम्पर्क में रहने से बच्चों का ब्रेन हार्माेनल संतुलन बिगड़ गया है। रिपोर्ट ने कई बड़े खुलासे।

जयपुरApr 25, 2025 / 08:08 am

Sanjay Kumar Srivastava

Mobile Addiction is making Students Violent Report makes many Big Revelations
देव कुमार सिंगोदिया
Rajasthan News : मोबाइल
ने बच्चों को डिजिटल गेम्स का आदी बना दिया है। दिन में अधिकतर समय मोबाइल के सम्पर्क में रहने से बच्चों का ब्रेन हार्माेनल संतुलन बिगड़ गया है। इससे वे न सिर्फ सामाजिकता से दूर हो गए हैं, बल्कि हिंसक व्यवहार भी अपनाने लगे हैं। एनजीओ प्रथम फाउंडेशन की एनुअल स्टे्टस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट-2025 बताती है कि 89 प्रतिशत 14 से 16 साल के किशोरों के घरों में कम से कम एक स्मार्टफोन उपलब्ध है। वहीं, 31 प्रतिशत किशोरों के पास अपना निजी स्मार्टफोन है। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि 50 प्रतिशत छात्र रोजाना तीन से चार घंटे सोशल मीडिया पर समय बिताते हैं। हालांकि 57 प्रतिशत छात्र स्मार्टफोन का उपयोग शिक्षा से संबंधित कार्याे के लिए करते हैं। सर्वे में बताया गया कि 40 प्रतिशत छात्रों में स्मार्टफोन के उपयोग की लत है और साइबर ब़ुलिंग तथा अनुचित सामग्री तक पहुंच हो रही है।

विद्यार्थियों को नुकसान

स्मार्टफोन के लंबे समय तक उपयोग से आंखों में तनाव, सूखापन, मायोपिया, गर्दन व पीठ दर्द, नींद की कमी, थकान, विचलन व पढ़ाई में एकाग्रता की कमी की शिकायतें सामने आई है। अकेलापन, मानसिक तनाव, साइबर बुलिंग, ध्यान भटकना, समय प्रबंधन की कमी और फील्ड वर्किंग में कमी आई है।
केस नं-1

जनवरी में पुदुचेरी में सोशल मीडिया पर टिप्पणी व अपमान से नाराज 11वीं के छात्र ने सहपाठी को चाकू मारकर घायल कर दिया। उसके बैग की जांच में छह देसी बम भी बरामद हुए।
केस नं – 2

फरवरी में हरियाणा के फरीदाबाद में 14 साल के लड़के ने पैसे चुराने व पढ़ाई के लिए डांट से नाराज होकर पिता आलम अंसारी को कमरे में बंद कर जिंदा जला दिया। अधिक जल जाने से पिता की मौके पर मौत हो गई।
केस नं-3

फरवरी में बिहार के सासाराम में मैट्रिक की परीक्षा के दौरान एक छात्र ने दो सहपाठियों से नकल करवाने के लिए कहा। दोनों की इंकार सुनकर छात्र ने अन्य साथियों को बुलाकर दोनों को गोली मार दी।

शिक्षकों को जीरो मोबाइल पॉलिसी पर करना चाहिए विचार

बच्चों में मोबाइल के गलत और अत्यधिक इस्तेमाल ने हालात चिंताजनक बना दिए हैं। इस गलती की शुरुआत माता-पिता और शैक्षिक परिदृश्य से होती है। माता-पिता छह माह के बच्चे को मोबाइल दिखाना शुरू कर देते हैं। वहीं ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर बच्चा मोबाइल का आदी हो जाता है। कई तरह के गेम्स, अनुचित व आपत्तिजनक सामग्री तथा इलेक्ट्रो रेडिएशन ने ब्रेन हार्मोनल बैलेंस का अनुपात बहुत अधिक बिगड़ जाता है। इससे बच्चे हिंसक व्यवहार करने लगे हैं। ओबिडियन्स ट्रेनिंग, ब्लू व्हेल ने बहुत नुकसान किया है। शिक्षकों को जीरो मोबाइल पॉलिसी पर विचार करना चाहिए।
डॉ. बिस्वरूप राय चौधरी, प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ

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