जानकारी के अनुसार सरकारी कर्मचारियों से वसूली गई राशि को केंद्र सरकार ने मांगा था। इसके बाद खाद्य विभाग के अधिकारियों में खलबली मच गई। हालांकि जितने नाम योजना से हटाए गए हैं तो उनसे 1500 करोड़ रुपए की वसूली होगी। इस राशि को भी केंद्र सरकार मांग सकती है क्योंकि गेहूं केंद्र सरकार ही उपलब्ध करा रही है।
अधिकारी कह रहे वसूली होनी चाहिए
विभाग के कुछ अधिकारी दबी जुबां से कह रहे हैं अपात्रों से वसूली को लेकर पत्रावली भी चली थी, लेकिन मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। अधिकारी कहते हैं कि जिस तरह सरकारी कार्मिकों से वसूली हुई उसी तरह अपात्रों से भी होनी चाहिए।
1500 करोड़ का गणित
- 5 किलो गेहूं प्रति व्यक्ति
- 20 किलो गेहूं मिलता है प्रति राशनकार्ड पर
- 240 किलो गेहूं प्रतिवर्ष मिलता है एक राशनकार्ड पर
- 10 साल में लगभग 24 क्विंटल गेहूं उठाया एक अपात्र परिवार ने
- 64,800 रुपए का गेहूं उठाया 2700 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से
- 2.5 लाख राशन कार्ड में शामिल 10 लाख अपात्रों ने उठाया 1500 करोड़ रुपए से ज्यादा का गेहूं