पुनीत शर्मा जयपुर। खाद्य विभाग प्रदेश में खाद्य सुरक्षा योजना के तहत गिवअप अभियान चलाकर योजना में शामिल 12 लाख अपात्रों के नाम हटाकर वाहवाही लूट रहा है, लेकिन इनसे 1500 करोड़ की वसूली पर विभाग चुप है। हालांकि सरकारी गेहूं उठाने वाले 6 लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों से 100 करोड़ रुपए की वसूली हो चुकी है।
जानकारी के अनुसार सरकारी कर्मचारियों से वसूली गई राशि को केंद्र सरकार ने मांगा था। इसके बाद खाद्य विभाग के अधिकारियों में खलबली मच गई। हालांकि जितने नाम योजना से हटाए गए हैं तो उनसे 1500 करोड़ रुपए की वसूली होगी। इस राशि को भी केंद्र सरकार मांग सकती है क्योंकि गेहूं केंद्र सरकार ही उपलब्ध करा रही है।
अधिकारी कह रहे वसूली होनी चाहिए
विभाग के कुछ अधिकारी दबी जुबां से कह रहे हैं अपात्रों से वसूली को लेकर पत्रावली भी चली थी, लेकिन मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। अधिकारी कहते हैं कि जिस तरह सरकारी कार्मिकों से वसूली हुई उसी तरह अपात्रों से भी होनी चाहिए।
1500 करोड़ का गणित
5 किलो गेहूं प्रति व्यक्ति
20 किलो गेहूं मिलता है प्रति राशनकार्ड पर
240 किलो गेहूं प्रतिवर्ष मिलता है एक राशनकार्ड पर
10 साल में लगभग 24 क्विंटल गेहूं उठाया एक अपात्र परिवार ने
64,800 रुपए का गेहूं उठाया 2700 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से
2.5 लाख राशन कार्ड में शामिल 10 लाख अपात्रों ने उठाया 1500 करोड़ रुपए से ज्यादा का गेहूं
राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी शामिल
गिवअप अभियान की पड़ताल में सामने आया कि योजना से नाम वापस लेने वाले अपात्रों में राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी शामिल हैं। इस सच से सरकार भी वाफिक है। चूंकि कार्यकर्ता राजनीतिक दलों की मजबूत कड़ी होती है। यह भी एक वजह है विभाग गिवअप अभियान में योजना से हटने वाले अपात्रों से वसूली को लेकर चुप है।