दरअसल, सिंधी कैंप के चारों ओर 20 से 25 किमी तक बसावट हो चुकी है और रिंग रोड के पार भी कॉलोनियां विकसित हो रही हैं। ऐसे में यात्रियों को बस पकड़ने के लिए सिंधी कैंप आना पड़ता है, जबकि 40 लाख की आबादी में महज एक ही बस स्टैंड है, जहां से बसों का संचालन होता है। इसके अलावा, नारायण सिंह सर्कल, 200 फीट बाइपास चौराहा, राव शेखाजी सर्कल और दुर्गापुरा जैसे प्रमुख इलाकों में भी बड़ी संख्या में यात्री आते हैं। हैरानी की बात यह है कि इन जगहों पर यात्रियों के लिए बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है और उन्हें सड़क किनारे खड़े होकर बस का इंतजार करना पड़ता है।
टोंक रोड, आगरा रोड, अजमेर रोड और दिल्ली रोड पर शहर का विस्तार हो चुका है, जिससे बड़ी संख्या में यात्री सिंधी कैंप पहुंचने के लिए मजबूर हैं। इन यात्रियों को 15 से 20 किमी तक का सफर तय करना पड़ता है। यदि चारों दिशाओं में बस टर्मिनल विकसित किए जाएं, तो इन यात्रियों की परेशानी कम हो सकती है।
सिंधी कैंप पर टिकट विंडो पर हमेशा भीड़ रहती है और स्टेशन के बाहर निजी बसों की रेलमपेल से यात्री सड़क पार करने में भी मुश्किल महसूस करते हैं। आस-पास के इलाके के लोग भी इससे परेशान हैं।
सिंधी कैंप और आसपास के क्षेत्र से करीब 500 निजी और लोक परिवहन बसों का संचालन हो रहा है। इनकी संख्या मिलकर बढ़ रही है, जबकि कलक्टर ने सिंधी कैंप के बाहर अवैध पार्किंग और निजी बसों के संचालन पर रोक लगा रखी है।
शहर के दूसरे हिस्सों से लोग बस पकड़ने के लिए ऑटो, कैब, लोकल बस, दुपहिया और चौपहिया वाहनों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे अक्सर जाम लगता है।
शहरवासियों को होगा दोहरा फायदा
चारों दिशाओं से लोग पास के बस स्टैंड पहुंचेंगे और आसानी से बस में बैठ सकेंगे। सिंधी कैंप पर यात्री भार में कमी आएगी, जिससे यहां बसों की संख्या में भी कमी होगी। शहर में बसों से होने वाला प्रदूषण कम होगा और जाम से राहत मिलेगी।