एक्शन ही नहीं
इंजीनियरों (ऑपरेशन-मेंटीनेंस से जुड़े) के एरिया में चोरी होती रही है, लेकिन उन्हें पता ही नहीं। जब विजिलेंस विंग कार्रवाई करने पहुंची तो ऐसे अभियंताओं की नींद टूटी। सवाल यह उठ रहा है कि उन इंजीनियरों व उनकी टीम को बड़ी बिजली चोरी का क्यों पता नहीं चल पा रहा, जिसे विजिलेंस विंग पकड़ रही है?यहां चोरी के बड़े मामले
जयपुर के शिकारपुरा में स्टार मेटल मैसर्स इस्माइल रबड़ इंडस्ट्रीज में 1.48 करोड़ रुपए की बिजली चोरी पकड़ी। टोंक में एक साथ 282 स्थानों पर 1 करोड़ की बिजली चोरी पकड़ी गई। जयपुर से गट्टू तक हाईवे किनारे 41 होटल-ढाबों में 64 लाख की चोरी। भवानी मंडी, बूंदी, सवाईमाधोपुर, अलवर और भिवाड़ी में 288 स्थानों पर 83 लाख की बिजली चोरी पकड़ी। जयपुर में कई होटल, रेस्टोरेंट्स पर 67 लाख से ज्यादा की चोरी मिली। सिद्धार्थ डायग्नोस्टिक सेंटर पर 20 लाख की चोरी। जेएनएम कॉलेज परिसर में 19 लाख की चोरी। होटल जय पैलेस में 17 लाख की चोरी। जुगलपुरा में कान्हा रेस्टोरेंट में 14 लाख की बिजली चोरी पकड़ी।जयपुर डिस्कॉम का बड़ा फैसला, 55 लाख बिजली उपभोक्ताओं को देगा 95.42 करोड़ रुपए, जानें क्यों

चोरी का मकड़जाल
35217मामलों में वीसीआर भरी गई।
31193
मामले इसमें विद्युत चोरी के हैं।
4024
मामलों में दुरुपयोग किया गया।
102
करोड़ रुपए की चोरी पकड़ी गई।
*इनमें जयपुर, दौसा, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, सवाईमाधोपुर,टोंक, करौली, कोटा, झालावाड़, बारां, बूंदी शामिल है।
क्यों नहीं लगाम?
1- प्रभावी निगरानी तंत्र का अभाव2- कई क्षेत्रों में अधिकारियों की मिलीभगत के आरोप
3- तकनीकी निगरानी (जैसे स्मार्ट मीटरिंग) अब भी सीमित
4- कार्रवाई की दर कम, सजा का डर नहीं, क्योंकि चालान कम मामलों में पेश किए जाते हैं।
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इस तरह उपभोक्ताओं पर पड़ रहा असर
1- बिजली कंपनियों का घाटा 1 लाख करोड़ तक पहुंच गया है।2- बिजली खरीद राशि चुकाने के लिए लगातार लोन लिया जा रहा है। यही लोन राशि जनता से बिजली की बढ़ी दर के रूप में ली जाती रही है।
3- बिजली दर निर्धारण के दौरान बिजली चोरी, छीजत का भी आकलन किया जाता है। डिस्कॉम जितनी बिजली खरीद रहा है, उसका बीस प्रतिशत हिस्सा तो चोरी, छीजत की भेंट चढ़ रहा है।